यह व्हाट्सएप ज्ञान नहीं है, पुराणों व धर्मग्रंथों में उल्लेखित जानकारी है

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By Mohit DevkarPublished On: September 8, 2021

विजय अड़ीचवाल


आज बुधवार, भाद्रपद शुक्ल द्वितीया तिथि है।
आज उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र, “आनन्द” नाम संवत् 2078 है
( उक्त जानकारी उज्जैन के पञ्चाङ्गों के अनुसार है)

कल गुरुवार को हरितालिका तीज है। कल सामवेदियों का उपाकर्म है। कल मन्वादि तिथि है।
कल गुरुवार को भगवान वराह अवतरण दिवस है।
इस कल्प में भगवान विष्णु ने श्वेत वराह (शूकर) के रूप में प्रथम अवतार लिया था। इसलिए इस कल्प का नाम श्वेत वराह कल्प है।
नारद पुराण उत्तर भाग के अध्याय 43 में उल्लेखित गङ्गा स्तोत्र को लिखकर जिस घर में उसकी पूजा होती है, वहां आग और चोर का भय नहीं होता है।
भगवान विष्णु के दाएं चरण से गङ्गा तथा बायें चरण से मानस – नन्दिनी सरयू का प्रादुर्भाव हुआ है।
गङ्गा – कौशिकी नदी के सङ्गम पर ही भगवान रुद्र ने चन्द्रमा को सिर पर धारण किया था।
गङ्गाजी के तट पर कलश तीर्थ है, जहां कलश से मुनि अगस्त्य प्रकट हुए थे।

सरस्वती नदी का जल 3 महीने, यमुना जी का जल 7 महीने, नर्मदा जी का जल 10 महीने तथा गङ्गाजी के जल का प्रभाव 1 वर्ष तक मानव शरीर में विद्यमान रहता है।