मध्यप्रदेश में एक बार फिर आसमान बादलों से घिर गया है। अरब सागर से उठे गहरे डिप्रेशन और उसके साथ सक्रिय हुई टर्फ लाइन के असर से राज्य के कई इलाकों में बारिश का दौर जारी है। सोमवार को मौसम विभाग ने ग्वालियर-चंबल और उज्जैन संभाग के आठ जिलों में भारी बारिश की चेतावनी दी है। वहीं भोपाल, इंदौर, गुना, अशोकनगर, विदिशा, रायसेन, नर्मदापुरम, बैतूल, सीहोर, हरदा, राजगढ़, देवास, धार, रतलाम, झाबुआ और अलीराजपुर जैसे जिलों में रुक-रुक कर बूंदाबांदी का सिलसिला बना रहेगा। इस अप्रत्याशित बारिश ने एक बार फिर से ठंडक का एहसास बढ़ा दिया है।
मौसम विभाग ने बताया क्यों बरस रहा है मध्यप्रदेश
भारतीय मौसम विभाग (IMD) की सीनियर वैज्ञानिक डॉ. दिव्या ई. सुरेंद्रन ने बताया कि फिलहाल अरब सागर के ऊपर बना डिप्रेशन मध्यप्रदेश के ऊपर सक्रिय है। इसके साथ एक टर्फ लाइन प्रदेश के मध्य हिस्से से होकर गुजर रही है, जिसके कारण वातावरण में नमी बनी हुई है और लगातार बारिश हो रही है। आने वाले तीन दिन तक यह सिस्टम सक्रिय रहेगा, जिससे कई जिलों में वर्षा होती रहेगी। डॉ. सुरेंद्रन ने बताया कि अगले 24 घंटों में इसका सबसे अधिक प्रभाव ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में दिखेगा।
इसके अलावा बंगाल की खाड़ी में भी एक और गहरा डिप्रेशन बन रहा है, जो आगे चलकर प्रदेश के पूर्वी हिस्सों—जैसे जबलपुर, शहडोल और सिंगरौली में वर्षा बढ़ा सकता है। मौसम विभाग ने 27 से 30 अक्टूबर तक गरज-चमक और तेज हवाओं के साथ बारिश का अलर्ट जारी किया है। भोपाल, इंदौर, उज्जैन, नर्मदापुरम और जबलपुर संभाग के लोग इस बारिश के मुख्य प्रभाव क्षेत्र में रहेंगे।
बारिश से गिरे तापमान, ठंड का अहसास बढ़ा
रविवार से हुई लगातार बारिश के कारण कई शहरों में दिन के तापमान में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है। भोपाल का अधिकतम तापमान 24.2 डिग्री सेल्सियस, इंदौर का 23.5 डिग्री, नर्मदापुरम का 24.6 डिग्री और उज्जैन का 25.7 डिग्री रिकॉर्ड किया गया। यह तापमान अक्टूबर के सामान्य स्तर से करीब 4 से 5 डिग्री कम है। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, बारिश थमने के बाद रातें और ठंडी होंगी तथा न्यूनतम तापमान में और गिरावट देखी जाएगी।
नवंबर से शुरू होगी असली ठंड, फरवरी तक रहेगा असर
मौसम विभाग ने अनुमान जताया है कि नवंबर के शुरुआती हफ्ते से ठंड का दौर औपचारिक रूप से शुरू होगा। यह ठंड जनवरी के मध्य तक चरम पर रहेगी और फरवरी तक इसका असर महसूस किया जा सकेगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस साल ला-नीना की परिस्थितियां बन रही हैं, जिसके कारण उत्तर और मध्य भारत में सामान्य से अधिक ठंड और बारिश हो सकती है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2010 के बाद यह सर्दी सबसे तीव्र साबित हो सकती है।
मानसून विदा होने के बाद भी जारी है बारिश का असर
हालांकि प्रदेश से मानसून आधिकारिक रूप से 13 अक्टूबर को विदा हो चुका है, लेकिन बादल अब भी आसमान में डेरा डाले हुए हैं। इस साल मानसून करीब चार महीने तक सक्रिय रहा और प्रदेश में औसतन 115% वर्षा दर्ज की गई। ग्वालियर-चंबल संभाग के जिलों में सामान्य से लगभग दोगुनी बारिश हुई, जबकि शाजापुर जिले में सबसे कम यानी सिर्फ 81% वर्षा दर्ज की गई।








