गुजरात में बड़ा राजनीतिक बदलाव, मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की नई टीम आज लेगी शपथ

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By Pinal PatidarPublished On: October 17, 2025

गुजरात की राजनीति में इस समय हलचल तेज हो गई है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को छोड़कर उनकी पूरी टीम ने गुरुवार को सामूहिक रूप से इस्तीफा दे दिया। कुल 16 मंत्रियों ने पद छोड़ दिए हैं। शुक्रवार को राज्य में नई मंत्रिपरिषद का विस्तार होगा, जो भारतीय जनता पार्टी के “मिशन 2027” की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, पार्टी अगले विधानसभा चुनाव से पहले संगठन और सरकार—दोनों स्तरों पर नए समीकरण परखना चाहती है ताकि राज्य में सत्ता विरोधी लहर को समय रहते संभाला जा सके।

शपथ ग्रहण समारोह आज, दस नए मंत्रियों की हो सकती है एंट्री


राज्यपाल आचार्य देवव्रत शुक्रवार सुबह 11 बजे गांधीनगर स्थित राजभवन में नए मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाएंगे। सूत्रों के मुताबिक, इस बार कैबिनेट में लगभग 10 नए चेहरों को शामिल किया जा सकता है। कार्यक्रम में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा भी मौजूद रहेंगे। सभी विधायकों को राजधानी गांधीनगर में रुकने के निर्देश दिए गए हैं। मौजूदा विधानसभा में 182 सीटें हैं, जिनमें से 15 प्रतिशत यानी अधिकतम 27 मंत्री बनाए जा सकते हैं। अभी तक मुख्यमंत्री पटेल समेत कुल 17 मंत्री थे जिनमें आठ कैबिनेट और आठ राज्यमंत्री शामिल थे। अब इस फेरबदल के साथ सरकार को नया रूप देने की तैयारी पूरी कर ली गई है।

दिल्ली से लेकर गांधीनगर तक चली रणनीतिक बैठकें

इस कैबिनेट विस्तार के पीछे महीनों की लंबी रणनीतिक तैयारी रही है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर हाल ही में हुई उच्चस्तरीय बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा के प्रदेश प्रभारी सीआर पाटिल और मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल शामिल हुए थे। वहीं, जे.पी. नड्डा की गुजरात यात्रा को इस रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है। बताया जा रहा है कि इस दौरान संगठन और सरकार दोनों स्तरों पर नए चेहरों को जिम्मेदारी देने पर सहमति बनी। पार्टी का उद्देश्य है कि आने वाले दो साल में युवाओं और समाज के सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व देकर भाजपा की जड़ें और मजबूत की जाएं।

पहले संगठन में बदलाव, अब सरकार की बारी

राज्य में संगठनात्मक बदलाव पहले ही किया जा चुका है। हाल ही में भाजपा ने जगदीश विश्वकर्मा को गुजरात का नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है। उन्होंने सीआर पाटिल की जगह यह जिम्मेदारी संभाली है। जगदीश विश्वकर्मा इससे पहले राज्य सरकार में मंत्री रह चुके हैं और संगठन के स्तर पर भी मजबूत पकड़ रखते हैं। माना जा रहा है कि अब पार्टी संगठन और सरकार के बीच तालमेल को और मजबूत बनाना चाहती है, ताकि चुनावी तैयारियां और तेज हों।

संभावित नए चेहरे: युवा और ओबीसी-पाटीदार संतुलन पर फोकस

नई मंत्रिपरिषद में पार्टी कुछ नए और प्रभावशाली चेहरों को शामिल करने जा रही है। संभावित मंत्रियों में जयेश राडाडिया, शंकर चौधरी, अर्जुन मोढवाडिया, जीतू वघानी, रीवा जडेजा और अल्पेश ठाकोर जैसे नाम चर्चा में हैं। इन नेताओं को शामिल कर भाजपा एक साथ कई लक्ष्य साधना चाहती है एक ओर युवा नेतृत्व को बढ़ावा देना, दूसरी ओर ओबीसी और पाटीदार समाज का संतुलन बनाए रखना। इससे सौराष्ट्र और उत्तर गुजरात के इलाकों में पार्टी को राजनीतिक लाभ मिलने की उम्मीद है।

नई ऊर्जा और संतुलन साधने की कवायद

इस फेरबदल के पीछे भाजपा की मंशा साफ है राज्य में एक नई ऊर्जा का संचार करना और लंबे शासन के कारण उत्पन्न एंटी-इनकंबेंसी के असर को कम करना। पार्टी यह संदेश देना चाहती है कि वह समय-समय पर बदलाव कर जनता की अपेक्षाओं के अनुरूप काम कर रही है। भाजपा का यह भी प्रयास है कि युवाओं, महिलाओं, ओबीसी और पाटीदार समुदायों के बीच संतुलन बना रहे, ताकि हर वर्ग खुद को सरकार का हिस्सा महसूस करे।

2021 की तरह फिर दिखा बदलाव का पैटर्न, लेकिन इस बार सीएम बरकरार

गुजरात में यह पहली बार नहीं है जब भाजपा ने चुनाव से पहले बड़ी रणनीतिक सर्जरी की हो। सितंबर 2021 में भी विधानसभा चुनाव से 15 महीने पहले पूरी मंत्रिपरिषद को बदल दिया गया था और मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की जगह भूपेंद्र पटेल को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। हालांकि, इस बार फर्क यह है कि मुख्यमंत्री ने इस्तीफा नहीं दिया  सिर्फ उनके कैबिनेट सहयोगियों ने पद छोड़ा है। 2021 में पांच साल के भीतर दो बार मुख्यमंत्री बदले गए थे, लेकिन इस बार भाजपा ने स्थिर नेतृत्व के साथ नई टीम तैयार करने का फैसला किया है।

एंटी-इनकंबेंसी खत्म करने का फॉर्मूला दोबारा आजमाया जा रहा है

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि भाजपा ने एक बार फिर अपने आजमाए हुए फॉर्मूले को अपनाया है। 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी ने 182 में से 103 नए उम्मीदवारों को टिकट दिए थे और पांच मंत्रियों समेत 38 विधायकों को बाहर का रास्ता दिखाया था। नतीजा यह हुआ कि भाजपा ने गुजरात में रिकॉर्ड 156 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया। अब उसी रणनीति को दोहराते हुए पार्टी ने मंत्रिपरिषद को नया चेहरा देने का फैसला लिया है। दरअसल, मोदी-शाह युग में भाजपा का यह “चेहरा बदलो, भरोसा रखो” मॉडल गुजरात में लगातार सफल होता आया है और यह फेरबदल उसी सिलसिले की एक और कड़ी माना जा रहा है।