मध्यप्रदेश के नागरिकों के लिए बड़ी खुशखबरी है। प्रदेश में जल्द ही 900 इलेक्ट्रिक बसें (ई-बस) दौड़ती नजर आएंगी। इन बसों का संचालन ग्वालियर, जबलपुर, उज्जैन, भोपाल और इंदौर के नगर निगम क्षेत्रों में होगा। बसों के लिए चार्जिंग स्टेशन बनाए जाने के बाद इन्हें शहरों में तैनात किया जाएगा। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने ई-बसों के संचालन के निर्देश दिए हैं। फिलहाल, 500 ई-बसों का टेंडर बाकी है, जबकि शेष बसों का टेंडर पूरा हो चुका है।
टेंडर प्रक्रिया शुरू, शुरुआत बड़े शहरों से
जानकारी के अनुसार, ई-बसों की शुरुआत भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर से की जाएगी। हालांकि इन शहरों में पहले से भी ई-बसें चल रही हैं, लेकिन अब उनकी संख्या बढ़ाई जाएगी। नगरीय विकास विभाग के मुताबिक, भारत सरकार ने कुल 972 ई-बसें मध्यप्रदेश के नगर निकायों को देने का निर्णय लिया है। पहले स्लॉट में 500 बसें दी जानी थीं, जिनमें से 472 ई-बसों के लिए भारत सरकार के शहरी विकास मंत्रालय ने टेंडर जारी कर दिए हैं। टेंडर की प्रक्रिया फिलहाल शुरू हो चुकी है।
ई-बसों की क्षमता और प्रकार
एमपी में दौड़ने वाली ई-बसें मिडी ई-बस और मिनी ई-बस के रूप में उपलब्ध होंगी। मिडी ई-बस में 26 सीटें होंगी, जबकि मिनी ई-बस 21 सीटों के साथ सेवा देंगी। यह नई बसें न केवल यात्रियों को सुविधा प्रदान करेंगी, बल्कि शहरों में प्रदूषण कम करने में भी मददगार साबित होंगी।
दूसरे चरण की तैयारी
दूसरे चरण में सागर, देवास और सतना नगर निगमों को ई-बसें दी जाएंगी। इन शहरों के निगमायुक्तों को डिपो का स्थान निर्धारित करने और टेंडर प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए जाएंगे, ताकि बसों का संचालन जल्द से जल्द शुरू किया जा सके।
पर्यावरण और यात्री सुविधा में सुधार
एमपी में ई-बसों के संचालन से शहरों में हरित परिवहन को बढ़ावा मिलेगा। यात्रियों को आरामदायक और सुरक्षित सफर के साथ ही शहर में वायु प्रदूषण कम करने में मदद मिलेगी। साथ ही, यह पहल राज्य सरकार की स्मार्ट सिटी और ग्रीन सिटी योजनाओं के अनुरूप भी है।