पेड़ों की हत्या पर Indore में हुआ अनोखा विरोध, पर्यावरण प्रेमियों ने कुछ यूँ किया प्रदर्शन, जानकर आप भी हो जाएंगे हैरान

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By Abhishek SinghPublished On: October 5, 2025

शहर में पेड़ों की निरंतर कटाई से निराश होकर पर्यावरणप्रेमियों ने आज कटे हुए पेड़ों के पास मुंडन किया। उनका कहना था कि पेड़ों की कटाई को वे हत्या के समान मानते हैं, और हालांकि उन्होंने हर संभव प्रयास किया, लेकिन शहर में अवैध पेड़ कटाई का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। थक-हार कर अब उन्हें ईश्वर से प्रार्थना करनी पड़ रही है कि इन पेड़ों को बचाया जाए और इंदौरवासियों की सांसों को सुरक्षित रखा जाए।

ईश्वर से नेताओं को सद्बुद्धि देने की प्रार्थना


हाल ही में लालबाग स्थित गुरुनानक कॉलोनी के बारामस्था बगीची परिसर में 300 साल पुराने पीपल के वृक्ष को बेरहमी से काट दिया गया। इसके विरोध में रविवार को एक शोकपूर्ण प्रार्थना सभा और दीपदान कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस परिसर में अन्य पेड़ों की भी कटाई की गई है। पर्यावरणप्रेमियों ने आरोप लगाया कि एमओजी लाइन, खंडवा रोड, उज्जैन रोड, मल्हारआश्रम, विजय नगर जैसे क्षेत्रों में पेड़ों की कटाई का सिलसिला जारी है। एक साल से हो रहे आंदोलन के बावजूद प्रशासन और जनप्रतिनिधियों पर इसका कोई असर नहीं पड़ा, और पेड़ काटने का सिलसिला बिना रुके जारी है। इसी स्थिति के विरोध में मुंडन और दीपदान का आयोजन किया गया, साथ ही ईश्वर से यह प्रार्थना की गई कि शहर के नेताओं को सद्बुद्धि मिले।

केश दान के माध्यम से वृक्षों के संरक्षण की अपील

शहर में हो रही वृक्षों की अनियंत्रित कटाई के खिलाफ विरोध प्रकट करने के लिए पर्यावरण कार्यकर्ता मुकेश रजत वर्मा और चंद्रशेखर गवली ने एक अनोखा कदम उठाया। उन्होंने पीपल के वृक्ष को “गुरु स्वरूप” मानते हुए प्रायश्चित के रूप में अपने सिर का मुंडन करवाया। उनका यह ‘केश दान’ का उद्देश्य था लोगों में धरोहर वृक्षों के प्रति जागरूकता फैलाना और उनके संरक्षण के प्रति गहरी संवेदना और जिम्मेदारी का भाव जगाना।

दीप जलाकर की गई प्रार्थना

कार्यक्रम में नागरिकों, पर्यावरण प्रेमियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और जनप्रतिनिधियों की बड़ी संख्या ने भाग लिया। उन्होंने पीपल के वृक्ष के चारों ओर दीप जलाकर, उसके जल्द पुनर्जीवन की कामना करते हुए “इतनी शक्ति हमें देना दाता” का सामूहिक गान किया। उपस्थित सभी ने यह कहा कि यह सिर्फ एक पेड़ नहीं, बल्कि होलकर काल की धरोहर का प्रतीक है, जिसे बचाया और संरक्षित किया जाना चाहिए था।