गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2025) का पर्व पूरे देशभर में बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। माना जाता है कि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणपति बप्पा का जन्म हुआ था।
इसी वजह से लोग 10 दिनों तक अपने घरों और पंडालों में उनकी प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना करते हैं। लेकिन प्रतिमा स्थापना के साथ कुछ नियमों और वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों का पालन करना बेहद आवश्यक है। ऐसा करने से घर में सुख, शांति, समृद्धि और तरक्की बनी रहती है।
आइए जानते हैं वे विशेष नियम जिनका ध्यान आपको गणेश मूर्ति लाते समय रखना चाहिए…
मूर्ति का सही आकार चुनें
गणेश जी की प्रतिमा घर में लाते समय उसके आकार पर विशेष ध्यान देना चाहिए। घर के लिए न तो बहुत बड़ी और न ही बहुत छोटी प्रतिमा उचित मानी जाती है। मध्यम आकार की मूर्ति सबसे शुभ होती है, क्योंकि बड़ी मूर्तियां पंडालों में स्थापित की जाती हैं। सही आकार की प्रतिमा घर के वातावरण में संतुलन और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है।
गणेश जी की सूंड की दिशा
गणेश मूर्ति खरीदते समय उनकी सूंड की दिशा का ध्यान रखना भी आवश्यक है। वामवर्ती गणेश मूर्ति, यानी जिसमें सूंड बाईं ओर हो, घर के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। यह सुख, शांति और समृद्धि लाने वाली होती है। वहीं, दाहिनी ओर सूंड वाली मूर्ति के पूजन के नियम कठिन होते हैं और इन्हें सामान्यत: मंदिरों में स्थापित किया जाता है।
बैठी हुई मुद्रा सबसे शुभ
गणपति प्रतिमा की मुद्रा भी घर में स्थापना के लिए अहम मानी जाती है। घर के लिए हमेशा बैठे हुए गणेश जी की प्रतिमा को सर्वोत्तम माना गया है। यह स्थिरता, शांति और सुख-समृद्धि का प्रतीक है। वहीं पंडालों में नृत्य करते हुए, खड़े हुए या अन्य मुद्राओं वाली मूर्तियां स्थापित की जा सकती हैं।
मोदक और मूषक का महत्व
गणेश जी का प्रिय वाहन मूषक (चूहा) और उनका प्रिय भोग मोदक मूर्ति के साथ अवश्य होना चाहिए। ऐसी प्रतिमा को बेहद शुभ माना जाता है और इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। यह संयोजन भक्तों को जीवन में उत्तम फल प्रदान करता है।
मूर्ति के रंग का विशेष प्रभाव
मूर्ति का रंग भी हमारे जीवन पर सीधा असर डालता है। सफेद रंग की गणेश प्रतिमा घर में लाना सबसे शुभ मानी जाती है क्योंकि यह शांति और पवित्रता का प्रतीक है। वहीं सिंदूरी रंग की प्रतिमा आत्मविकास और आत्मबल को बढ़ावा देती है। इसलिए अपनी आवश्यकता और मनोकामना के अनुसार सही रंग की प्रतिमा का चुनाव करें।
शुभ मुहूर्त में स्थापना
गणेश जी की मूर्ति हमेशा चतुर्थी से पहले शुभ मुहूर्त में घर लानी चाहिए। ऐसा करने से पूजा का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
वास्तु नियमों का पालन करें
गणेश मूर्ति की स्थापना के दौरान वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन करना न भूलें। सही दिशा, स्थान और विधि से स्थापित की गई प्रतिमा न केवल परिवार पर सकारात्मक प्रभाव डालती है बल्कि जीवन में तरक्की और खुशहाली का मार्ग भी प्रशस्त करती है।
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