हिंदू धर्म, वास्तु शास्त्र और ज्योतिष में दिशाओं को केवल भौगोलिक संकेत नहीं, बल्कि ऊर्जा और दिव्य शक्तियों का केंद्र माना जाता है। प्रत्येक दिशा का एक विशेष स्वामी होता है, जिसे दिशा देवता कहा जाता है।
इन देवताओं की सही समय और सही दिशा में पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। यदि आराधना सही दिशा में की जाए तो उसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।
पूर्व दिशा

पूर्व दिशा को सबसे पवित्र और शुभ दिशा माना गया है क्योंकि यहां सूर्य देव का वास है, जो पूरे ब्रह्मांड में ऊर्जा और जीवन के मुख्य स्रोत हैं। इसके अलावा, वर्षा और सुख-समृद्धि के देवता इंद्र देव भी इस दिशा के स्वामी माने जाते हैं। इस दिशा की ओर मुख करके पूजा करने से मान-सम्मान, बेहतर स्वास्थ्य और करियर में तरक्की के योग बनते हैं। यहां सूर्य देव, इंद्र देव और ब्रह्मा जी की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है।
पश्चिम दिशा
पश्चिम दिशा के स्वामी वरुण देव हैं, जो जल के देवता माने जाते हैं और जीवन में संतुलन तथा स्थिरता प्रदान करते हैं। इसके साथ ही शनि देव भी इस दिशा से जुड़े हैं, जो न्याय के देवता और कर्मफल दाता के रूप में प्रसिद्ध हैं। इस दिशा में पूजा करने से जीवन में स्थिरता, कठिनाइयों में न्याय और धैर्य की शक्ति प्राप्त होती है। वरुण देव और शनि देव की आराधना यहां विशेष लाभ देती है।
उत्तर दिशा
उत्तर दिशा को समृद्धि और आर्थिक उन्नति की दिशा कहा जाता है। इस दिशा के स्वामी कुबेर देव हैं, जो देवताओं के खजांची माने जाते हैं, और इनके साथ देवी लक्ष्मी का भी यहां विशेष वास है। इस दिशा की ओर मुख करके पूजा, ध्यान या धन से जुड़े कार्य करने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और व्यापार में प्रगति के अवसर बढ़ते हैं। यहां कुबेर, लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
दक्षिण दिशा
दक्षिण दिशा के स्वामी यमराज हैं, जिन्हें मृत्यु और धर्म के देवता कहा जाता है। आमतौर पर इस दिशा में पूजा करने से बचा जाता है, लेकिन विशेष परिस्थितियों में मंगल देव से संबंधित पूजा दक्षिण दिशा की ओर मुख करके की जा सकती है। यह दिशा जीवन से जुड़ी बाधाओं और विपरीत परिस्थितियों को दूर करने में सहायक होती है।
ईशान कोण (उत्तर-पूर्व)
उत्तर और पूर्व दिशा के बीच का स्थान ईशान कोण कहलाता है और इसे घर का सबसे पवित्र भाग माना जाता है। इस दिशा के स्वामी भगवान शिव हैं। यहां पूजा-घर या मंदिर स्थापित करना सबसे शुभ होता है। इस दिशा में पूजा करने से मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व)
दक्षिण और पूर्व दिशा के बीच स्थित क्षेत्र आग्नेय कोण कहलाता है, जिसके स्वामी अग्नि देव हैं। यह दिशा रसोईघर के लिए सबसे शुभ मानी जाती है, क्योंकि अग्नि से ऊर्जा और पाचन शक्ति दोनों का संबंध है। यहां अग्नि देव की पूजा करने से घर में सकारात्मकता, सेहत और उत्साह बढ़ता है।
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