मुख्यमंत्री योगी ने सम्भल में 659 करोड़ लागत की 222 विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया

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By Raj RathorePublished On: August 7, 2025

मुख्यमंत्री योगी ने आज बहजोई, जनपद सम्भल में 659 करोड़ रुपये लागत की 222 विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया। इन परियोजनाओं में कलेक्ट्रेट अनावासीय भवन तथा जिला मुख्यालय के आवासीय भवनों का शिलान्यास शामिल है। इससे पूर्व उन्होंने कलेक्ट्रेट परिसर में जिलाधिकारी कार्यालय तथा अनावासीय भवन के कार्यों का भूमिपूजन तथा कलेक्ट्रेट परिसर में ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान के तहत हरिशंकरी पौधे का रोपण किया।

कार्यक्रम में सीएम ने विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों को आवास की प्रतीकात्मक चाभी व प्रमाण पत्र तथा सी.एम. युवा योजना के लाभार्थियों को ऋण के प्रतीकात्मक चेक वितरित किए। उन्होंने कार्यक्रम में बच्चों का अन्नप्राशन किया तथा आयोजित प्रदर्शनी को देखने के साथ ही सम्भल में उत्खनन के समय प्राप्त पुरातात्विक अवशेषों के स्टॉलों का अवलोकन किया।

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सीएम ने कहा कि वर्ष 2011 में सम्भल जनपद की घोषणा हुई थी। विगत 14 वर्षों में जनपद के पास अपना जिला मुख्यालय और पुलिस लाइन नहीं थी। हमने पुलिस लाइन के लिए 288 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं, जिस पर वर्तमान में कार्य चल रहा है। 80 एकड़ क्षेत्र में इंटीग्रेटेड कॉम्प्लेक्स के रूप में जनपद मुख्यालय के निर्माण की कार्रवाई की जा रही है, जहां एक ही छत के नीचे जनपद स्तर के सभी ऑफिस होंगे। इनके माध्यम से जनता को सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।

उन्होंने आगे यह भी कहा कि श्रीमद्भागवत महापुराण 5,000 वर्ष पूर्व रचा गया था। यह हमारा सबसे पुराना महापुराण है। भगवान वेदव्यास ने महाभारत के युद्ध के बाद उस समय शान्ति और मुक्ति के लिए इस महापुराण की रचना की थी। स्कन्द पुराण, विष्णु महापुराण सहित हमारे पावन पावन ग्रंथों में यह उल्लेख है कि भगवान विष्णु का दसवां अवतार कल्कि के रूप में होगा। स्कन्द पुराण में सम्भल के विषय में कहा गया है कि ‘सत्येसत्यवृतो नाम, त्रेतायां च महद्गिरिः। द्वापरेपिंगलो नाम, कलौ सम्भल उच्यते।।

अर्थात् सतयुग में इसका नाम सत्यव्रत, त्रेता में महदगिरी, द्वापर में पिंगल और कलयुग में शम्भल/सम्भल होगा। चंदौसी को छोटी काशी के रूप में मान्यता प्राप्त है।
स्कन्द पुराण इस बात का उल्लेख भी करता है कि ‘आकर्णय महाभाग पुरवै शाम्भलेश्वरं। गंगारथ प्रामध्यसथं क्षेत्रं वै योजन त्रयं’। अर्थात् सम्भल नगर, जो भागीरथी गंगा और राम गंगा के मध्य में है, यह 36 किलोमीटर के दायरे में स्थित है। इससे सम्भल के महात्मय और क्षेत्रफल के बारे में पता चलता है।