कांवड़ यात्रा के दौरान इन नियमों का रखें ध्यान, तभी मिलेगा शिव का आशीर्वाद

सावन माह में कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व है, जिसमें शिव भक्त तीर्थ स्थलों से गंगाजल लाकर शिवलिंग पर अर्पित करते हैं। इस यात्रा के दौरान भक्तों को सात्विक जीवन, नियमों का पालन और पूजन सामग्री की संपूर्ण तैयारी करनी चाहिए। यह यात्रा भक्ति, अनुशासन और आत्मिक शुद्धता का प्रतीक मानी जाती है।

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कांवड़ यात्रा के दौरान इन नियमों का रखें ध्यान, तभी मिलेगा शिव का आशीर्वाद

हिंदू धर्म में सावन माह को अत्यंत पवित्र और पुण्यदायक माना गया है। इस वर्ष 11 जुलाई से सावन की शुरुआत हो रही है, और इसी के साथ शुरू होगी शिव भक्तों की विशेष यात्रा, कांवड़ यात्रा। हरिद्वार, गोमुख, देवघर, गंगोत्री जैसे तीर्थस्थलों से श्रद्धालु गंगाजल भरकर नंगे पांव या कंधे पर कांवड़ उठाए शिव मंदिरों तक की पदयात्रा करते हैं। इस गंगाजल को वे भगवान शिव के शिवलिंग पर चढ़ाकर अपने कष्टों का निवारण और मनोकामनाओं की पूर्ति की कामना करते हैं।

ऐसी धार्मिक मान्यता है कि चातुर्मास के दौरान जब भगवान विष्णु योगनिद्रा में होते हैं, तब सृष्टि की रक्षा का कार्य स्वयं भगवान शिव संभालते हैं। इसी कारण सावन में भोलेनाथ की पूजा का विशेष महत्व होता है। पूरे महीने शिवालयों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है, और वातावरण ‘हर हर महादेव’ के जयकारों से गूंज उठता है।

कांवड़ यात्रा से पहले जान लें ये ज़रूरी नियम

कांवड़ यात्रा केवल एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि यह अनुशासन, भक्ति और सेवा का प्रतीक है। ज्योतिष शास्त्रों और धर्मशास्त्रों में इसके लिए कुछ विशेष नियम निर्धारित किए गए हैं, जिनका पालन करना भक्तों के लिए अनिवार्य माना गया है। सबसे पहले तो यह जरूरी है कि कांवड़ यात्रा के दौरान जीवन पूरी तरह सात्विक रहे। मांस, मदिरा, और तमसिक भोजन से पूरी तरह दूरी बनाई जाए।

श्रद्धालुओं को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और अशुद्ध विचारों से दूर रहना चाहिए। यात्रा के दौरान कांवड़ को कभी भी ज़मीन पर नहीं रखना चाहिए। यदि आराम करना हो तो किसी पेड़ की शाखा या उचित और साफ स्थान पर कांवड़ को लटकाकर रखें।

यात्रा में अपशब्दों का प्रयोग वर्जित है। इसके स्थान पर शिव भजन, मंत्रों का जाप या ‘बम भोले’ के जयघोष करें। अन्य कांवड़ियों की सहायता करना, उनकी सेवा करना पुण्य फल देने वाला कार्य माना जाता है। साथ ही, स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें। यात्रा मार्ग में कचरा फैलाने से बचें और जहां ठहरें वहां की सफाई करें।

पूजन सामग्री 

कांवड़ यात्रा पर निकलने से पहले पूजन सामग्री को व्यवस्थित कर लेना बहुत आवश्यक होता है, ताकि किसी भी स्थान पर पूजा में बाधा न आए। जल भरने के लिए पीतल, तांबे या प्लास्टिक के पात्र का उपयोग किया जा सकता है। शिव जी की मूर्ति या उनकी छोटी तस्वीर साथ लेकर चलें।

धूपबत्ती, माचिस, कपूर, चंदन, भस्म (या गोपीचंदन), रुद्राक्ष की माला जैसी चीजें पूजा के लिए आवश्यक होती हैं। शिव आराधना के समय बजाने के लिए एक छोटा घंटा भी रखें। सफेद फूल शिव जी को अत्यंत प्रिय माने जाते हैं, अतः इन्हें पूजा में जरूर चढ़ाएं। इसके अलावा एक साफ-सुथरी पूजा थाली, रुमाल या वस्त्र, और स्नान करने हेतु वस्त्र भी साथ में रखना अच्छा रहता है।

शुद्ध आचरण और सच्ची श्रद्धा है सबसे बड़ी तैयारी

कांवड़ यात्रा केवल शरीर की थकान नहीं, बल्कि आत्मा की तपस्या है। इसमें भक्त का हर कदम शिवभक्ति की ओर होता है, हर स्वास शिवनाम से जुड़ा होता है। इसलिए इस यात्रा की सफलता केवल बाहरी तैयारी से नहीं, बल्कि आंतरिक शुद्धता और ईमानदारी से जुड़ी होती है।

Disclaimer : यहां दी गई सारी जानकारी केवल सामान्य सूचना पर आधारित है। किसी भी सूचना के सत्य और सटीक होने का दावा Ghamasan.com नहीं करता।