AIIMS की नई तैयारी, आपदा में जीवन रक्षक बनेगा पोर्टेबल अस्पताल, 200 मरीजों का एक साथ हो सकेगा इलाज

आपात स्थितियों में घायल लोगों को तुरंत इलाज उपलब्ध कराने के लिए एम्स भोपाल पहली बार 'भीष्म क्यूब' नामक पोर्टेबल अस्पतालों का उपयोग करेगा, जिन्हें स्वास्थ्य और रक्षा मंत्रालय ने मिलकर विकसित किया है।

Abhishek Singh
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AIIMS की नई तैयारी, आपदा में जीवन रक्षक बनेगा पोर्टेबल अस्पताल, 200 मरीजों का एक साथ हो सकेगा इलाज

आपदा या दुर्घटना की स्थिति में घायल व्यक्तियों को अस्पताल पहुंचाने और उपचार शुरू करने में होने वाली देरी से बचने के लिए एम्स भोपाल अब पोर्टेबल अस्पतालों का उपयोग करेगा। ये पोर्टेबल यूनिट्स किसी भी आपातकालीन स्थिति में त्वरित रूप से मौके पर पहुंचाई जा सकती हैं और इनमें प्राथमिक उपचार से लेकर ऑपरेशन जैसी जटिल चिकित्सा सेवाएं भी संभव हैं। इन अत्याधुनिक अस्पतालों को ‘भीष्म क्यूब’ (BHISHM CUBE – Bharat Health Initiative for Sahyog, Hit & Maitri) नाम दिया गया है। यह पहली बार है जब मध्य प्रदेश में इस तरह की सुविधा का इस्तेमाल किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि इन पोर्टेबल अस्पतालों को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और रक्षा विभाग के सहयोग से विकसित किया गया है, जिनका उद्देश्य आपात स्थितियों में तुरंत और प्रभावी स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना है।

पोर्टेबल अस्पताल की खासियतें

इन क्यूब्स की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि ये सौर ऊर्जा से संचालित होते हैं, जिससे इन्हें दूरदराज़ और बिजलीविहीन क्षेत्रों में भी आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है। ‘भीष्म क्यूब’ में एक बार में लगभग 200 मरीजों का उपचार किया जा सकता है। इसमें ऑपरेशन थियेटर, ज़रूरी दवाएं, स्ट्रेचर, कॉम्पैक्ट जनरेटर, रक्त जांच उपकरण, एक्स-रे मशीन, वेंटिलेटर जैसे कई अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरण मौजूद हैं।

एक यूनिट, 36 बॉक्स

एम्स को इस पोर्टेबल अस्पताल की दो यूनिट्स प्रदान की गई हैं। प्रत्येक यूनिट 36 अलग-अलग बक्सों में सुसज्जित होती है, जिन्हें एक ‘मास्टर क्यूब’ के रूप में व्यवस्थित किया गया है। हैरानी की बात यह है कि यह संपूर्ण अस्पताल मात्र 12 मिनट में पूरी तरह से स्थापित और कार्यशील किया जा सकता है।