MP में आयुर्वेद कॉलेजों पर बड़ा फैसला, 7 सरकारी और 11 निजी संस्थानों को मिली मान्यता, बाकि 16 पर अब भी सस्पेंस बरकरार

सत्र 2025-26 के लिए केंद्रीय आयुष मंत्रालय और NCISM ने मध्यप्रदेश के 18 आयुर्वेद कॉलेजों को मान्यता दी है, जबकि 16 अन्य कॉलेजों की मंजूरी अभी लंबित है।

Abhishek Singh
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सत्र 2025-26 के लिए केंद्रीय आयुष मंत्रालय और नेशनल कमीशन फॉर इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन (NCISM), नई दिल्ली ने मध्यप्रदेश के 18 आयुर्वेद मेडिकल कॉलेजों को मान्यता दी है। इनमें भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा, उज्जैन, इंदौर और बुरहानपुर स्थित 7 सरकारी और 11 निजी आयुर्वेद कॉलेज शामिल हैं। पूरे देश में सर्वाधिक मान्यता प्राप्त संस्थानों की सूची में मध्यप्रदेश दूसरे स्थान पर है। हालांकि, प्रदेश के 16 अन्य कॉलेजों सहित देशभर के 482 आयुर्वेद कॉलेजों की मान्यता पर फैसला अभी बाकी है।

आयुर्वेद यूजी सीटों की संख्या 3000 के करीब

आयुष मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. राकेश पाण्डेय ने बताया कि प्रदेश सहित देश के सभी आयुर्वेद कॉलेजों में सत्र 2025-26 के लिए प्रवेश केवल NEET परिणामों के आधार पर ही किए जाएंगे। मध्यप्रदेश में लगभग 3000 अंडरग्रेजुएट सीटों समेत पूरे देश में 598 आयुर्वेद कॉलेजों में 42,000 से अधिक सीटें उपलब्ध हैं। डॉ. पाण्डेय के अनुसार, मध्यप्रदेश के अलावा जिन राज्यों के आयुर्वेद कॉलेजों को मान्यता मिली है, उनमें असम से 1, छत्तीसगढ़ से 3, गुजरात से 3, हरियाणा से 2, हिमाचल प्रदेश से 1, कर्नाटक से 13, केरल से 1, महाराष्ट्र से 33, ओडिशा से 4, पांडिचेरी से 1, पंजाब से 4, तेलंगाना से 1, उत्तर प्रदेश से 23, उत्तराखंड से 7 और पश्चिम बंगाल से 1 कॉलेज शामिल है।

भोपाल के संस्थानों में उपलब्ध यूजी सीटें

भोपाल स्थित पं. खुशीलाल शर्मा शासकीय आयुर्वेद कॉलेज को 75 अंडरग्रेजुएट (BAMS) और 74 पोस्टग्रेजुएट सीटों की मान्यता प्राप्त हुई है। वहीं, स्कूल ऑफ आयुर्वेद साइंस, सरदार अजीत सिंह स्मृति आयुर्वेद कॉलेज, रामकृष्ण आयुर्वेद कॉलेज और मानसरोवर आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज को प्रत्येक को 100-100 यूजी (BAMS) सीटों की मान्यता प्रदान की गई है।

बची हुई संस्थाओं के लिए जल्द फैसले की मांग

आयुष मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. राकेश पाण्डेय ने केंद्रीय आयुष मंत्रालय और NCISM से अनुरोध किया है कि शेष आयुर्वेद कॉलेजों की मान्यता को लेकर जल्द निर्णय लिया जाए, ताकि नीट आयुष काउंसलिंग समय पर शुरू हो सके और छात्रों को किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े।