
हिन्दू धर्म में सावन का महीना विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है। यह समय भगवान शिव की आराधना के लिए उत्तम माना जाता है। पूरे महीने विशेषकर सोमवार के दिन व्रत, जलाभिषेक, रुद्राभिषेक और भक्ति अनुष्ठानों का आयोजन किया जाता है।
इस दौरान ना केवल पूजा विधि में शुद्धता रखनी चाहिए, बल्कि खानपान और जीवनशैली में भी संयम बरतना ज़रूरी होता है, ताकि शिव कृपा प्राप्त हो सके।

भूलकर भी न करें इन चीज़ों का सेवन
धार्मिक शास्त्रों और आचार्यों के अनुसार, सावन में कुछ विशेष खाद्य और आदतों से परहेज करना चाहिए, क्योंकि इनका सीधा प्रभाव व्यक्ति की आध्यात्मिक ऊर्जा और वातावरण पर पड़ता है। अगर सावन में इन नियमों की अनदेखी की जाए, तो घर-परिवार में अशांति, बीमारी या आर्थिक हानि जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। आइए जानते हैं कि इस पावन महीने में किन चीजों से दूरी बनाना आवश्यक है:
प्याज और लहसुन
सावन में प्याज और लहसुन जैसे तामसिक तत्वों से बचना चाहिए। ये खाद्य पदार्थ मन की शांति को भंग कर देते हैं और साधना तथा उपवास की प्रभावशीलता को कम करते हैं। तामसिक भोजन से शरीर में आलस्य, क्रोध और अस्थिरता बढ़ती है, जो शिव भक्ति के मार्ग में बाधा बनती है। इसलिए सात्विक आहार जैसे फल, दूध, दही, हल्का भोजन आदि को प्राथमिकता देना चाहिए।
मांसाहार
सावन के महीने में मांसाहारी भोजन जैसे मांस, मछली और अंडे का पूरी तरह से त्याग करना चाहिए। यह समय आत्मशुद्धि और संयम का होता है, और भगवान शिव स्वयं एक योगी हैं, जो तपस्या और ब्रह्मचर्य के प्रतीक हैं। मांसाहार न केवल धार्मिक रूप से अनुचित माना गया है, बल्कि वर्षा ऋतु में यह पाचन तंत्र पर भी भारी पड़ता है, जिससे स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ सकती हैं।
नमक का त्याग
सावन में सोमवार व्रत करने वाले श्रद्धालु अक्सर नमक का सेवन नहीं करते हैं। यह एक प्रकार की धार्मिक तपस्या मानी जाती है, जिससे व्यक्ति के भीतर आत्म-नियंत्रण और मन की स्थिरता आती है। यदि नमक का सेवन ज़रूरी हो तो केवल सेंधा नमक ही उपयोग में लाया जाना चाहिए। कुछ लोग तो पूरे महीने बिना नमक के फलाहार करके शिवजी को प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं।
शराब और नशा
भले ही पौराणिक कथाओं में शिवजी को भांग-धतूरा प्रिय बताया गया हो, लेकिन उनके भक्तों के लिए किसी भी प्रकार का नशा करना सख्त वर्जित है। सावन में शराब या अन्य नशीले पदार्थों का सेवन न केवल धार्मिक रूप से अशुद्धि पैदा करता है, बल्कि यह व्यक्ति की सोच और जीवनशैली को भी नकारात्मक दिशा में ले जाता है। यह माना जाता है कि नशे की स्थिति में किया गया कोई भी कार्य शिव कृपा को दूर कर सकता है।
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