इंदौर मेट्रो में गिरा यात्रियों का ग्राफ, फ्री राइड खत्म होते ही 1.07 लाख लोगों का हुआ मोहभंग

इंदौर मेट्रो में फ्री राइड के दौरान जहां भारी उत्साह देखने को मिला, वहीं टिकट लागू होते ही यात्रियों की संख्या में 75% तक गिरावट आ गई। वर्तमान में कम आबादी वाले रूट और सीमित कनेक्टिविटी इसके कम उपयोग का प्रमुख कारण है। मुख्य शहर से जुड़ने पर ही मेट्रो को नियमित यात्री मिलने की उम्मीद है।

Srashti Bisen
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इंदौर मेट्रो में गिरा यात्रियों का ग्राफ, फ्री राइड खत्म होते ही 1.07 लाख लोगों का हुआ मोहभंग

इंदौर मेट्रो को लेकर शुरू में जो उत्साह नजर आया था, वह अब धीरे-धीरे फीका पड़ता जा रहा है। फ्री राइड सप्ताह के दौरान जब यात्रियों को टिकट नहीं देना पड़ा, तब हर दिन करीब 20 हजार से ज्यादा लोग मेट्रो में सफर कर रहे थे। लेकिन जैसे ही 8 जून से टिकट की शुरुआत हुई, यात्रियों की संख्या में अचानक 75 प्रतिशत की भारी गिरावट दर्ज की गई।

अब मेट्रो में रोजाना औसतन केवल 5000 यात्री ही सफर कर रहे हैं, और अगर रविवार को हटा दिया जाए तो यह आंकड़ा घटकर मात्र 2500 तक रह जाता है।

फ्री वीक में जबरदस्त उत्साह, 1.43 लाख यात्रियों ने की यात्रा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 31 मई को इंदौर मेट्रो का वर्चुअल उद्घाटन किया था, और इसके साथ ही 31 मई से 7 जून तक एक सप्ताह तक यात्रियों को फ्री राइड की सुविधा दी गई थी। इस दौरान कुल 1,43,301 लोगों ने मेट्रो में सफर किया। लेकिन यह संख्या जल्द ही घट गई जब 8 जून से टिकटिंग व्यवस्था लागू हुई, जिसमें शुरुआती तौर पर यात्रियों को 75% छूट दी गई और टिकट दरें 5 और 8 रुपए रखी गईं।

टिकट लागू होने के बाद यात्रियों की संख्या में भारी गिरावट

8 जून को संडे होने की वजह से 18 हजार से ज्यादा लोग मेट्रो में सवार हुए, लेकिन इसके बाद हालात तेजी से बदले। 9 जून को केवल 4022 लोग ही सफर करने पहुंचे और यह संख्या लगातार कम होती गई। 14 जून तक रोजाना का औसत 2500 के आसपास ही रह गया। टिकट लागू होने के पहले सात दिनों के भीतर केवल 36,055 यात्रियों ने मेट्रो का उपयोग किया, जिसमें से अकेले 8 जून को 18 हजार यात्री शामिल थे।

दिनवार आंकड़े इस प्रकार हैं:

  • 8 जून: 18,087
  • 9 जून: 4,022
  • 10 जून: 3,350
  • 11 जून: 3,159
  • 12 जून: 2,555
  • 13 जून: 2,364
  • 14 जून: 2,518

अब 15 जून से मेट्रो टिकट की दरों में 50% की ही छूट दी जा रही है, यानी यात्रियों को 10 और 15 रुपए चुकाने होंगे। यह रियायत सिर्फ 21 जून तक जारी रहेगी। इसके बाद 22 जून से छूट घटकर 25% रह जाएगी, जिससे यात्रियों को टिकट की 75% कीमत चुकानी होगी। टिकट महंगी होते ही यात्रियों की संख्या और घटने की आशंका जताई जा रही है।

कम आबादी वाला रूट बना मुख्य बाधा

मौजूदा समय में इंदौर मेट्रो सिर्फ 6 किलोमीटर के ‘प्रायोरिटी रूट’ पर संचालित हो रही है, जो सुपर कॉरिडोर क्षेत्र में है। यह इलाका अभी कम आबादी वाला है और यहां पर मुख्य रूप से टीसीएस और इंफोसिस जैसी आईटी कंपनियों के दफ्तर हैं। दोनों ओर एक किलोमीटर तक सिर्फ बड़े-बड़े प्लॉट हैं जिनका उपयोग अभी तक नहीं हुआ है। इस कारण आम यात्रियों की पहुंच और आवश्यकता दोनों ही सीमित हैं।

मुख्य शहर में पहुंचने पर ही मिलेगी रफ्तार

इंदौर मेट्रो की यह लाइन अभी तक मुख्य शहर या घनी आबादी वाले क्षेत्रों में नहीं पहुंची है। जब यह दूसरे चरण में होटल रेडिसन चौराहे तक पहुंचेगी, तभी इसे नियमित यात्री मिलना शुरू होंगे। यह विस्तार कार्य दिवाली तक पूरा होने की उम्मीद जताई गई है, लेकिन तकनीकी और प्रशासनिक देरी को देखते हुए इसके 2026 के शुरुआती महीनों से पहले पूरा होने की संभावना कम है।