Best Test Captain in Indian Cricket Team: भारतीय क्रिकेट के तीन दिग्गजों—विराट कोहली, रोहित शर्मा, और एमएस धोनी ने टेस्ट क्रिकेट में अपनी कप्तानी से इतिहास रचा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, इन तीनों की कप्तानी की तुलना प्रशंसकों के बीच हमेशा चर्चा का विषय रही है। कोहली ने भारत को टेस्ट में नंबर-1 बनाया, धोनी ने स्थिरता दी, और रोहित ने आक्रामक रुख अपनाया। लेकिन इनमें से सबसे बेहतर टेस्ट कप्तान कौन रहा? आइए, इनके आंकड़ों और उपलब्धियों पर नजर डालें।
एमएस धोनी: स्थिरता का प्रतीक
एमएस धोनी ने 2008 से 2014 तक 60 टेस्ट मैचों में भारत की कप्तानी की, जिसमें 27 जीत, 18 हार, और 15 ड्रॉ रहे। उनकी कप्तानी में भारत ने 2008-11 के बीच ऑस्ट्रेलिया को घरेलू सीरीज में कई बार हराया। धोनी ने भारत को 2009 में टेस्ट रैंकिंग में नंबर-1 बनाया, जो उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि थी। हालांकि, विदेशी दौरों पर उनकी रणनीति को आलोचना मिली। सोशल मीडिया पर एक फैन ने लिखा, “धोनी की शांत कप्तानी ने टेस्ट में भारत को मजबूत नींव दी।” उनके 45% जीत के आंकड़े स्थिरता दिखाते हैं।

कोहली: आक्रामकता का दूसरा नाम
विराट कोहली ने 2014 से 2022 तक 68 टेस्ट में कप्तानी की, जिसमें 40 जीत, 17 हार, और 11 ड्रॉ रहे। उनकी 58.82% जीत की दर भारत के किसी भी कप्तान से ज्यादा है। कोहली ने भारत को 2018-19 और 2020-21 में ऑस्ट्रेलिया में ऐतिहासिक टेस्ट सीरीज जीत दिलाई। उनकी कप्तानी में भारत ने पहली बार वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल में जगह बनाई। सोशल मीडिया पर प्रशंसक कहते हैं, “कोहली ने टेस्ट क्रिकेट को नया जुनून दिया।” हालांकि, कुछ रणनीतिक फैसलों पर सवाल भी उठे।
रोहित शर्मा: नया रुख, सीमित अनुभव
रोहित शर्मा ने 2022 से अब तक 24 टेस्ट में कप्तानी की, जिसमें 12 जीत, 9 हार, और 3 ड्रॉ रहे। उनकी 50% जीत की दर ठीक है, लेकिन 2023 में भारत ने उनके नेतृत्व में वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल खेला। रोहित की रणनीति आक्रामक रही, लेकिन ऑस्ट्रेलिया में 2024-25 सीरीज में उनकी खराब फॉर्म और हार ने आलोचना बटोरी। सोशल मीडिया पर एक यूजर ने लिखा, “रोहित की कप्तानी में समय चाहिए, लेकिन शुरुआत अच्छी है।” कम मैचों के कारण उनकी तुलना धोनी और कोहली से मुश्किल है।
कौन है आगे?
आंकड़ों में कोहली सबसे आगे हैं, जिन्होंने 68 में 40 जीत दर्ज कीं, जबकि धोनी की 60 में 27 और रोहित की 24 में 12 जीत हैं। कोहली की विदेशी जीत और रैंकिंग में निरंतरता उन्हें खास बनाती है। धोनी ने स्थिरता दी, लेकिन विदेश में कम सफल रहे। रोहित का रिकॉर्ड अभी बन रहा है। प्रशंसक सोशल मीडिया पर बहस कर रहे हैं, “कोहली की आक्रामकता, धोनी की शांति, या रोहित की रणनीति—कौन बेस्ट?”