रक्षाबंधन का त्यौहार सभी भाई बहनों के लिए एक पवित्र और अटूट त्यौहार होता है। प्राचीन काल से चला आ रहा ये त्यौहार इस साल 3 अगस्त को आने जा रहा है। इस दिन सभी भाई बहन अपने रिश्तों की डोर को और ज्यादा मजूबत बना देते हैं। दरअसल, आपको बता दे, सनातन धर्म में रक्षाबंधन के त्योहार का विशेष महत्व है। आज हम आपको रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त और थल सजाने की विधि बताने जा रहे है।
साथ ही आपको बता दे, बंधन सावन के आखरी दिन यानि की सोमवार को ही आ रहा है। ये दिन बेहद शुभ दिन माना जा रहा है। इस दिन का काफी ज्यादा महत्त्व भी बताया जा रहा है। आपको बता दे, हर साल भाई बहन के प्रेम का यह त्यौहार सावन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस साल 3 अगस्त को सावन मास की पूर्णिमा है। तो चलिए जानते है इसका शुभ मुहूर्त –
पूर्णिमा तिथि की शुरुआत–
2 अगस्त को रात्रि 9 बजकर 28 मिनट से पूर्णिमा तिथि लग जाएगी।
रक्षाबंधन अनुष्ठान का समय-सुबह 09:28 से 21:14 तक।
दोपहर का मुहूर्त- 13:46 से 16:26 तक।
प्रदोष काल मुहूर्त- 19:06 से 21:14 तक।
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 3 अगस्त की रात 9 बजकर 27 मिनट पर पूर्णिमा का समापन होगा।
राखी बांधते वक्त इस मंत्र को जरूर पढ़े –
येन बद्धो बलि: राजा दानवेंद्रो महाबल:.
तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल..
जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली राजा बलि को बांधा गया था, उसी सूत्र से मैं तुम्हें बांधता हूं। हे रक्षे (राखी), तुम अडिग रहना। अपने रक्षा के संकल्प से कभी भी विचलित मत होना।
राखी की थाल –
राखी की थाल में रेशमी वस्त्र में केसर, सरसों, चंदन, चावल व दुर्वा रखकर भगवान की पूजा करनी चाहिए। साथ ही थाल सजाते समय महामृत्युंजय मंत्र का एक माला 108 बार जप करें। सोमवार के दिन महामृत्युंजय मंत्र और श्रावण सोमवार के प्रभाव से सब शुभ होगा।