जिला न्यायालय में 11 सितंबर को नेशनल लोक अदालत

Shivani Rathore
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National Lok Adalat,

इंदौर (Indore News) : इंदौर जिला न्यायालय में लंबित प्रकरणों के आपसी सुलह समझौते के साथ त्वरित निराकरण के लिये जिला न्यायालय में नेशनल लोक अदालत का आयोजन आगामी 11 सितम्बर को किया गया है। यह लोक अदालत प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश तथा अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण इन्दौर श्री दिनेश कुमार पालीवाल के मार्गदर्शन में होगी। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव श्री मनीष श्रीवास्तव ने बताया कि इस नेशनल लोक अदालत में न्यायालयों में लंबित मोटर दुर्घटना दावा, सिविल, विद्युत चोरी से संबंधित, चैक बाउन्स, भरण पोषण, घरेलू हिंसा, श्रम प्रकरण एवं राजीनामा योग्य दांडिक / आपराधिक प्रकरणों एवं प्रीलिटिगेशन मामलों का निराकरण आपसी समझौतों के आधार पर किया जायेगा।

उक्त श्रेणी के प्रकरण निराकरण किये जाने हेतु गठित खण्डपीठों में भेजे जायेंगे। सचिव श्री श्रीवास्तव ने यह भी बताया कि लोक अदालत में ऐसे प्रकरणों को रखा जाता है, जिनमें पक्षकारों के बीच समझौते की संभावना हो, ऐसे पक्षकारों को लोक अदालत की खण्डपीठ द्वारा समझाईश दी जाती है और समझाईश के फलस्वरूप यदि पक्षकारों के मध्य राजीनामे की सहमति बनती है, तो पक्षकारों के मध्य तय शर्तों के अनुसार राजीनामा न्यायालय के समक्ष हो जाता है।

लोक अदालत में आपसी राजीनामे के आधार पर प्रकरणों के निराकरण की दशा में पक्षकारों के मध्य संबंध मधुर बने रहते है। वहीं न्यायालय से गुण-दोषों के आधार पर फैसले के आधार पर कोई-न-कोई पक्ष असंतुष्ट रह जाता है, जो न्यायालय में फैसले के विरुद्ध वरिष्ठ न्यायालय में कार्यवाही करता है और अदालती कार्यवाही में पक्षकारों का पैसा और समय दोनों ही खर्च होता है। लोक अदालत में मामले का निराकरण समझौते के आधार पर होने पर पैसे और समय दोनों की ही बचत होती है।

दीवानी मामलों में राजीनामा लोक अदालत के समक्ष किये जाने की स्थिति में वादी के द्वारा जो कोर्ट फीस हजारों-लाखों रूपये की स्टाम्प के रूप में दी गई होती है, वह पूरी की पूरी कोर्ट फीस वादी को वापस प्राप्त करने का अधिकार होता है। इसी प्रकार चैक बाउन्स वाले मामलों में भी परिवादी द्वारा हजारों-लाखों रुपये कोर्ट फीस जमा करते हुए चैक बाउन्स के संबंध में परिवाद न्यायालय में पेश किया जाता है, यदि चैक बाउन्स वाले मामलों में भी लोक अदालत में राजीनामा होता है, तो दी गई कोर्ट फीस की राशि भी पूरी की पूरी परिवादी को वापस प्राप्त करने का अधिकार होता है। इसी प्रकार वाहन दुर्घटना वाले मामलों में भी बीमा कंपनी या विरोधी पक्षकार से लोक अदालत में राजीनामा के फलस्वरूप मामले का शीघ्र निराकरण हो जाता है और पक्षकार को शीघ्र ही मुआवजा राशि मिल सकती है।

चैक बाउन्स वाले मामलों में राजीनामा करने हेतु अभियुक्त को निर्धारित समन / राजीनामा शुल्क भी देना होता है। ऐसे सभी व्यक्ति जिनके विरुद्ध न्यायालयों में चैक बाउन्स के मामले प्रस्तुत हुए है। यदि वे न्यायालय में प्रथम बार उपस्थिति के समय ही राजीनामा करना स्वीकार करते हैं, तो उन्हें चक राशि का 10 प्रतिशत धन राशि समन / राजीनामा शुल्क के रूप में भुगतान करने की आवश्यकता नहीं रहती है।

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ऐसे सभी व्यक्ति जिनके विरूद्ध धारा 138 परकाम्य लिखित अधिनियम के तहत चैक बाउन्स के मामलें न्यायालय में प्रस्तुत हुए हैं और उन्हें न्यायालय में उपस्थित होने का प्रथम बार सूचना पत्र मिला हो या उन्हें उनके विरुद्ध प्रकरण प्रस्तुत होने की जानकारी हो गई हो, परन्तु उन्हें न्यायालय से कोई सूचना पत्र उपस्थिति बाबद प्राप्त नहीं हुआ हो, तो भी वे फरियादी को राजीनामा के आशय की जानकारी देते हुए आयोजित नेशनल लोक अदालत में फरियादी के साथ उपस्थित होकर राजीनामा कर प्रकरण समाप्त करा सकते हैं। ऐसे व्यक्तियों को राजीनामा शुल्क के रूप मे कोई अतिरिक्त धनराशि का भुगतान नहीं करना होगा।

ऐसे पक्षकार जिनके मध्य किरायेदारी वाले मकान को खाली कराने या बकाया किराया के संबंध में मामले न्यायालय में विचाराधीन है, तो ऐसे मकान मालिक एवं किरायेदार भी लोक अदालत के माध्यम से अपने मामलों में सुलहवार्ता कर समझौता करा सकते हैं । इसी तरह ऐसे पक्षकार जिनके मध्य संविदा/अनुबंध या करार के पालन के मामले चल रहे हैं, वे भी आयोजित नेशनल लोक अदालत में उपस्थित होकर लोक अदालत के माध्यम से अपने प्रकरण में सुलहवार्ता कर समझौता के आधार पर मामले का त्वरित निराकरण कराकर वर्षों तक चलने वाले मुकदमें के तनाव और अदालती खर्ची के बोझ से बच सकते हैं।

ऐसे पति-पत्नी जिनके मध्य घरेलू हिंसा, भरण-पोषण राशि से संबंधित विवाद न्यायालय में विचाराधीन हो, वे भी आयोजित नेशनल लोक अदालत में उपस्थित होकर लोक अदालत के माध्यम से अपने प्रकरण में सुलहवार्ता कर समझौता कराकर मुकदमें के तनाव और अदालती खर्ची के बोझ से बच सकते हैं और पारिवारिक जीवन में मुकदमें के कारण उत्पन्न के तनाव कड़वाहट से मुक्त हो सकते हैं। नागरिकों से अपील की गई है कि “जिनके मामलें जिला न्यायालय में लम्बित है” यदि उनके द्वारा प्रस्तुत किये गये मामले में या उनके विरूद्ध कोई मामला चल रहा हो, जो कि राजीनामा योग्य हो, में सुलह समझौते की संभावना हो तो वे सुलह समझौते हेतु अपने प्रकरण को 11 सितम्बर, 2021 को आयोजित होने वाली नेशनल लोक अदालत में रखवा सकते हैं।