गोल नहीं, तिकोनी नहीं, क्यों होती हैं Books हमेशा चौकोर? जानिए दिलचस्प कारण

किताबों का चौकोर या आयताकार आकार कोई संयोग नहीं, बल्कि डिज़ाइन, साइंस और व्यवहारिकता से जुड़ी सोच का नतीजा है। जब बाकी चीज़ों में बदलाव हो रहे हैं, किताबों का फॉर्मेट अब तक इसलिए नहीं बदला क्योंकि यह सबसे सुविधाजनक और व्यावहारिक साबित हुआ है।

Abhishek Singh
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हमने किताबों को हमेशा एक ही अंदाज़ में देखा है — सीधी, चौकोर या आयताकार। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर ऐसा क्यों होता है? क्या ये कोई परंपरा है, कोई नियम या फिर इसके पीछे कोई ऐसा कारण है, जो अक्सर हमारी नज़र से छूट जाता है?

जब स्मार्टफोन, कारें और यहां तक कि कुर्सियों के डिज़ाइन में रोज़ नए एक्सपेरिमेंट हो रहे हैं, तो फिर किताबों का फॉर्मेट सालों से एक जैसा क्यों बना हुआ है?

आज हम आपको बताने जा रहे हैं इसके पीछे छिपा एक दिलचस्प लॉजिक — जो डिज़ाइन, साइंस और व्यवहारिकता से जुड़ा है, और जिसे जानकर आप भी कहेंगे, “अब समझ आया!”

क्या किताबों का शेप कभी राउंड या ट्रायंगल भी रहा है?

हां, कुछ खास मौकों पर आर्टिस्टिक डिज़ाइन्स या बच्चों की किताबों के रूप में गोल, दिल के आकार या तिकोनी किताबों के साथ एक्सपेरिमेंट ज़रूर हुआ है। हालांकि, ये फॉर्मेट ज्यादा प्रचलित नहीं हो पाए क्योंकि इन्हें इस्तेमाल करना और सहेज कर रखना थोड़ा मुश्किल होता है।

किताबों का चौकोर आकार महज इत्तेफाक नहीं, बल्कि यह सदियों की व्यवहारिक सोच, पढ़ने में आसानी और छपाई की ज़रूरतों का नतीजा है। इसी वजह से हम आज भी चौकोर किताबों को प्राथमिकता देते हैं – और संभवतः आगे भी देते रहेंगे।

किताबों की छपाई और उसमें छिपा विज्ञान

प्रिंटिंग मशीनों में जो बड़े साइज के पेपर शीट्स इस्तेमाल किए जाते हैं, उनका आकार आमतौर पर आयताकार होता है। इन्हें काटकर और मोड़कर किताब का रूप देने का सबसे आसान, कारगर और कम बर्बादी वाला तरीका भी आयताकार डिज़ाइन ही होता है।

गोल या तिकोनी शेप की किताबें तैयार करना समय-साध्य, महंगा और संसाधनों की अधिक बर्बादी वाला काम होता है।

छपाई की शुरुआत से जुड़ी कहानी

प्राचीन समय में लोग लंबी कागज़ की पट्टियों यानी स्क्रॉल्स पर लिखा करते थे, लेकिन उन्हें पढ़ना झंझट भरा था – हर बार पूरा रोल खोलना पड़ता था। जब किताबों की शुरुआत हुई, तो आयताकार आकार सबसे व्यावहारिक और सुविधाजनक साबित हुआ।

धीरे-धीरे यह आकार हमारी आदत में शुमार हो गया और अब यही सामान्य मानक बन चुका है।

डिज़ाइन से लेकर छपाई तक की सोच

किताबें केवल पढ़ने तक सीमित नहीं होतीं—उन्हें डिज़ाइन करना, प्रिंट करना, बाइंड करना और डिस्ट्रीब्यूट करना भी होता है। इन सभी चरणों में चौकोर आकार सबसे सुविधाजनक और किफायती साबित होता है। पब्लिशर्स के लिए भी यही फॉर्मेट बजट के लिहाज़ से सबसे उपयुक्त होता है।

रीडिंग कम्फर्ट भी है एक बड़ी वजह

जब हम किताब पढ़ते हैं, तो हमारी आंखें टेक्स्ट को बाएं से दाएं और ऊपर से नीचे स्कैन करती हैं। ऐसे में आयताकार पन्ने इस नेचुरल रीडिंग फ्लो के लिए सबसे उपयुक्त होते हैं। गोल आकार के पेजों में कंटेंट को व्यवस्थित करना चुनौतीपूर्ण हो जाता, जबकि तिकोने पन्नों में काफी स्पेस बर्बाद होता।