इंदौर के देवी अहिल्याबाई होल्कर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर विमानों की सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित करने के लिए अब एक नई तकनीकी उपलब्धि हासिल की गई है। पहली बार देश में पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से तैयार की गई ‘फ्रिक्शन रनवे टेस्टिंग मशीन’ का इस्तेमाल किया गया।
इस मशीन से रनवे पर विमानों की लैंडिंग के दौरान होने वाले घर्षण की जांच की गई, और यह पाया गया कि रनवे की सतह वर्तमान में विमानों की सुरक्षित लैंडिंग के लिए उपयुक्त है।

क्या है ‘फ्रिक्शन रनवे टेस्टिंग मशीन’?
यह मशीन खास तौर पर रनवे पर विमानों की लैंडिंग के दौरान उत्पन्न होने वाले घर्षण का मूल्यांकन करती है। इसे कार के साथ जोड़ा जाता है, जिसमें एक विशेष पहिया रनवे की सतह को छूता है और घर्षण डेटा मशीन तक भेजता है। यह मशीन अब तक विदेशों से आयात की जाती थी, लेकिन अब यह स्वदेशी रूप से तैयार की गई है, जिससे न केवल देशी तकनीक का विकास हो रहा है बल्कि लागत भी कम हो रही है।
क्यों है यह टेस्ट महत्वपूर्ण?
जब विमान लैंड करता है, तो उसके टायर रनवे पर सबसे पहले टकराते हैं। अगर रनवे की सतह में कोई खराबी हो, तो लैंडिंग के दौरान झटका महसूस हो सकता है या टायर फटने की घटनाएं हो सकती हैं। इस टेस्ट का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि रनवे पर कोई दिक्कत न हो और विमान की लैंडिंग सुरक्षित तरीके से हो। यह परीक्षण रनवे की स्थिति का आंकलन करता है और जरूरत पड़ने पर सुधार की सिफारिश की जाती है, जिससे विमानों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
25 करोड़ रुपए से हो रही है रनवे मरम्मत
इंदौर एयरपोर्ट पर वर्तमान में रनवे की मरम्मत का कार्य जारी है, जिसमें 25 करोड़ रुपए का खर्च आ रहा है। इसके तहत पुराने डामर को हटा कर नई परत बिछाई जा रही है। यह कार्य रात के समय किया जा रहा है ताकि दिन में उड़ानें प्रभावित न हों। रनवे के इस सुधार कार्य से भविष्य में बड़े विमानों की लैंडिंग और अधिक सुरक्षित होगी।
बड़े विमानों की लैंडिंग अब होगी आसान
अब इंदौर एयरपोर्ट पर बड़े विमानों जैसे बोइंग 777 की लैंडिंग भी आसान हो गई है। साल 2021 में प्रधानमंत्री के विमान को लैंडिंग के दौरान रनवे पर टर्नपैड की चौड़ाई कम होने के कारण वापस लौटना पड़ा था। इसके बाद टर्नपैड की चौड़ाई बढ़ाकर इसे 4 मीटर तक किया गया, जिससे अब बड़े विमानों की लैंडिंग सुरक्षित रूप से हो सकती है।