छत्तीसगढ़ सरकार के प्रशासनिक कार्यों को अधिक प्रभावी और जनकल्याणकारी बनाने के उद्देश्य से भारतीय प्रबंध संस्थान (IIM) रायपुर में चिंतन शिविर 2.0 का आयोजन किया गया। इस शिविर में केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं को आमजन तक बेहतर ढंग से पहुंचाने के लिए नवाचारों और आधुनिक सुशासन तकनीकों पर विस्तार से मंथन किया गया।
सरकारी नीतियों में नवाचार और प्रभावशीलता पर जोर
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय और उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों ने विषय विशेषज्ञों के साथ सुशासन के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार साझा किए। चिंतन शिविर के अंतिम दिन प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य श्री संजीव सान्याल ने “आर्ट ऑफ गुड गवर्नेंस” विषय पर संबोधित करते हुए प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल बनाने, राज्य की क्षमताओं को सुदृढ़ करने, अनुपयोगी नियमों को समाप्त करने और सरकारी संस्थानों के पुनर्गठन जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने यह भी बताया कि किस प्रकार सरकारें अपनी नीतियों और कार्यान्वयन की गुणवत्ता को और अधिक प्रभावी बना सकती हैं।

दूरदराज़ इलाकों में पहुंच रहा ई-हेल्थ का लाभ
डिजिटल हेल्थ विशेषज्ञ डॉ. राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता ने बताया कि कैसे डिजिटल तकनीकें दूरस्थ और वंचित क्षेत्रों तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने में सहायक बन रही हैं। उन्होंने ई-हेल्थ रिकॉर्ड्स, टेलीमेडिसिन, मोबाइल हेल्थ एप्लिकेशन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी उन्नत तकनीकों के उपयोग से स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने पर जोर दिया। डॉ. गुप्ता का कहना था कि डिजिटल हेल्थ तकनीकें न केवल चिकित्सा सुविधाओं को मजबूत करती हैं, बल्कि इससे शासन व्यवस्था पर नागरिकों का विश्वास भी सुदृढ़ होता है।
चुनावी प्रक्रिया पर सुशासन का प्रभाव
राजनीतिक विश्लेषक और लेखक श्री उदय माहुरकर ने “गुड गवर्नेंस टू इलेक्शन” विषय पर संवाद करते हुए भारतीय लोकतंत्र के ऐतिहासिक संदर्भ, राजनीतिक आचरण की शुद्धता, प्रशासनिक जवाबदेही और जनहितैषी नीतियों के प्रभावी क्रियान्वयन पर विस्तृत विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि एक मजबूत और पारदर्शी शासन प्रणाली न केवल लोकतंत्र में जनता का भरोसा बढ़ाती है, बल्कि चुनावी प्रक्रिया को भी सकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। श्री माहुरकर ने स्थानीय स्तर पर सुशासन को सुदृढ़ करने, चुनावों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने और प्रशासनिक कार्यप्रणाली में नैतिक मूल्यों को संस्थापित करने के उपायों पर भी बल दिया।