MP News : राज्य सरकार एक बार फिर कर्ज लेने जा रही है, और यह कदम बजट सत्र के खत्म होने के महज एक दिन बाद उठाया जा रहा है। मुख्यमंत्री मोहन यादव की सरकार ने बुधवार को 4400 करोड़ रुपये का कर्ज लेने का फैसला किया है, जो दो किस्तों में 7 और 10 साल की अवधि के लिए लिया जाएगा। खास बात यह है कि मार्च महीने में यह चौथी बार कर्ज लिया जा रहा है।
इससे पहले 5 मार्च, 12 मार्च और 19 मार्च को क्रमशः 4000 करोड़, 4000 करोड़ और 6000 करोड़ का कर्ज लिया जा चुका है। यानी, मार्च के अंत तक मोहन सरकार ने तीन बार कर्ज लिया, जो बजट के आंकड़ों से भी ज्यादा है। वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने 2025-26 के लिए राज्य का बजट 4.21 लाख करोड़ रुपये का पेश किया था, लेकिन सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अगले साल तक राज्य का कुल कर्ज 4.99 लाख करोड़ तक पहुंच सकता है।

अब कितना कर्ज ले सकती हैं सरकार
इस वित्तीय वर्ष में मध्य प्रदेश सरकार ने अब तक 61,400 करोड़ रुपये का कर्ज ले लिया है, जबकि कुल कर्ज लेने की सीमा 64,000 करोड़ रुपये थी। इसका मतलब है कि सरकार के पास सिर्फ 2,500 करोड़ रुपये का ही और कर्ज लेने का मौका बचा है। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि इस सीमित कर्ज की जरूरत नहीं पड़ेगी और इसे अगले वित्तीय वर्ष के लिए आगे बढ़ाया जा सकता है।
मध्य प्रदेश का कर्ज देश के कुल कर्ज का 5%
मध्य प्रदेश का कर्ज देश के कुल कर्ज का 5% से ज्यादा हो चुका है। भारत के कुल कर्ज का आंकड़ा 93,93,317.5 करोड़ रुपये है, जिसमें से मध्य प्रदेश पर 4,80,976 करोड़ रुपये का कर्ज है। कर्ज के मामले में मध्य प्रदेश देश में नौवें स्थान पर है। यह स्थिति चिंता का कारण बन सकती है, क्योंकि लगातार बढ़ते कर्ज से राज्य की वित्तीय स्थिरता पर असर पड़ सकता है।
सरकार की फिजूलखर्ची पर सवाल उठ रहे सवाल
कर्ज के बढ़ने के बावजूद, राज्य सरकार ने हाल ही में कुछ ऐसे खर्च किए हैं, जो विपक्ष के लिए एक बड़ा सवाल खड़ा कर रहे हैं। जुलाई 2024 में सरकार ने 230 करोड़ रुपये का एक जेट विमान खरीदी का प्रस्ताव पास किया था, जो कर्ज के बोझ में इजाफा करने जैसा कदम माना जा रहा है। इसके अलावा, पिछले साल मंत्रियों के बंगलों के नवीनीकरण पर 18 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए गए। इसके साथ ही, मई 2024 में मंत्रियों के लिए लगभग 5 करोड़ रुपये की एसयूवी खरीदने का ऑर्डर भी दिया गया।