अर्जुन राठौर
ऐसा लगता है कि इंदौर रिश्वतखोर कर्मचारियों और अधिकारियों का स्वर्ग बनता जा रहा है कलेक्टर कार्यालय से लेकर सहकारिता विभाग और नगर निगम तक में जिस तरह से रिश्वतखोर अधिकारियों और कर्मचारियों को पकड़ा जा रहा है उससे भी यही प्रतीत होता है कि इंदौर के सारे सरकारी विभाग भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुके हैं।
यहां पर निर्दोष जनता से जमकर वसूली की जाती है और नहीं देने पर उनके काम अटका दिए जाते हैं ऐसे समय में जबकि सरकारी कर्मचारियों तथा अधिकारियों के वेतन सर्वाधिक है याने सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को वेतन मिलता वह बहुत अधिक है 30000 से लेकर 70000 के बीच वेतन अधिकारियों तथा कर्मचारियों को मिलता है इसके बावजूद इनकी पैसों की भूख नहीं मिटती ये निर्दोष जनता को परेशान करके उनसे मन माने पैसे वसूल करते हैं ।
लोकायुक्त द्वारा पिछले दिनों इंदौर में कई कर्मचारियों तथा अधिकारियों को रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया है सहकारिता विभाग में पिछले ही दिनों रिश्वत कांड हो चुका है जहां लोकायुक्त ने रंगे हाथों रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था अब नगर निगम में भी यही सब कुछ दोहराया गया है इससे यही पता चलता है कि इंदौर भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए स्वर्ग बन गया है इंदौर में बहुत अधिक पैसा होने से लोग भी किसी भी तरह से रिश्वत देकर अपना काम जल्दी कराना चाहते हैं और यही वजह है कि हर अधिकारी इंदौर आना चाहता है लोग मर्जी से दे या ना दे उनसे वसूली करते रहते हैं और फिर लोकायुक्त के हाथों गिरफ्तार भी होते हैं।
देखने वाली बात यही है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इंदौर को अपने सपनों का शहर बनाना चाहते हैं लेकिन क्या उनके इरादों पर ये भ्रष्ट अधिकारी पानी फेर रहे हैं ।ऐसे में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री को यही चाहिए कि वे बड़े पैमाने पर सालों से जमे