अर्जुन राठौर
ऐसा प्रतीत होता है कि इंदौर का सहकारिता विभाग भू माफियाओं के पास गिरवी रखा हुआ है और यहां के कर्मचारी तथा अफसर वेतन सरकार से लेते हैं लेकिन वफादारी भू माफियाओं के प्रति निभाते हैं यदि यहां के कर्मचारियों, अफसरों और इंस्पेक्टरों की गतिविधियों पर नजर रखी जाए तो पता चलेगा कि अधिकांश समय ये सब भू माफियाओं के दफ्तरों की शोभा बढ़ाते रहते हैं और भूमाफिया भी बड़े दावे के साथ कहते हैं कि वे सहकारिता विभाग में जो चाहे वह करा सकते हैं ।
इंदौर के सहकारिता विभाग का अभी तक का इतिहास यह है कि यहां पर आज तक किसी भी पीड़ित सदस्य को न्याय नहीं मिला यहां पर शिकायत करने वाले सदस्यों की शिकायत को दबाना और गृह निर्माण संस्थाओं के पदाधिकारियों को बचाना यहां के अधिकारियों का मुख्य काम रह गया है हालत इतनी बदतर है कि सूचना के अधिकार में जो जानकारी मांगी जाती है उसे भी तोड़ मरोड़ कर दिया जाता है या दिया ही नहीं जाता और भू माफियाओं को खबर भी कर दी जाती है कि आपकी संस्था के बारे में किस व्यक्ति ने जानकारी मांगी है इसके बाद भूमाफिया उस सदस्य को परेशान करना शुरू कर देता है ।
सबसे बड़ी बात तो यह है कि इंदौर के सहकारिता विभाग के ऑडिटर और सब आडिटर सभी के खिलाफ विभागीय जांच चल रही है कहीं न कहीं हर ऑडिटर घोटाले में लिप्त पाया गया है जाहिर है कि सहकारिता विभाग पूरी तरह से भ्रष्टाचार में डूब चुका है। यदि शिवराज इंदौर शहर को अपने सपनों का शहर बनाना चाहते हैं तो सबसे पहले सहकारिता विभाग मेंऑपरेशन क्लीन चलाना चाहिए ताकि इंदौर की जनता को भ्रष्ट अफसरों से मुक्ति मिल सके ।