भोपाल : विशेष न्यायालय सागर द्वारा वन्य-जीव संरक्षण के तहत 13 आरोपियों को वन्य-जीव संरक्षण अधिनियम-1972 की विभिन्न धाराओं में दोषी मानते हुए 7-7 वर्ष का कठोर कारावास और अधिकतम 5 लाख रुपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया है। यह आदेश विशेष न्यायालय सागर द्वारा लम्बी सुनवाई के बाद सोमवार 19 जुलाई को निर्णय सुनाया गया।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य-प्राणी) श्री आलोक कुमार ने बताया कि स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स (एसटीएसएफ) की सागर इकाई द्वारा अंतर्राष्ट्रीय वन्य-प्राणी तस्करी में लिप्त चार राज्य से आरोपियों को वर्ष 2017 में गिरफ्तार किया गया था। इन आरोपियों द्वारा दुर्लभ विलुप्तप्राय वन्य-प्राणी पेंगोलिन एवं तिलकधारी कछुआ और उनके अवयवों की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चीन, थाईलैण्ड, हांगकांग, बांग्लादेश, श्रीलंका, मेडागास्कर आदि देशों में अवैध व्यापार पिछले एक दशक से किया जा रहा था।
श्री आलोक कुमार ने बताया कि एण्सटीएसएफ द्वारा की गई जाँच में यह पाया गया कि इन आरोपियों द्वारा इस अवैध व्यापार से तकरीबन 4 करोड़ की राशि के लेन-देन के साथ ही लगभग 91 हजार प्रतिबंधित प्रजाति के वन्य-प्राणी कछुओं का अवैध व्यापार किया जाना पाया गया।एसटीएसएफ द्वारा अंतर्राष्ट्रीय गिरोह का पर्दाफाश करते हुए गिरोह के मुख्य सरगना को चैन्नई से जनवरी-2018 में गिरफ्तार किया गया था।
उल्लेखरनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय की सतत निगरानी में पिछले 2 वर्ष से सुनवाई की जा रही है। वन्य-प्राणियों के अवैध व्यापार का देश में पहला मामला है, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय के सतत निगरानी में प्रकरण की सुनवाई की गई। वन्य-प्राणियों की तस्करी में उपयोग किये गये वाहन मर्सडीज बेन्ज (लगभग 50 लाख) महंगे एप्पल कम्पनी के मोबाइल भी जप्त किये गये थे।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य-प्राणी) श्री आलोक कुमार ने इस प्रकरण में विभाग को मिली सफलता में वन विभाग का पक्ष रखने वाले वनाधिकारियों और अभियोजन अधिकारियों को पुरस्कृत किया जायेगा।