भोपाल,विशेष प्रतिनिधि। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल में जैसा पेच फंसा था। उससे ज्यादा पैच अब डिपार्टमेंट को लेकर फंसा हुआ है। किसको खराब और किसको अच्छा डिपार्टमेंट मिले, इसके लिए पहली बार भोपाल की बजाय दिल्ली में उठापटक हुई।
कड़वे और मीठे डिपार्टमेंट को लेकर ज्योति सिंधिया और शिवराज के बीच जो बात नहीं बन पा रही है, वह सबको समझ में आ रही है। विभाग तो ढेरों हैं लेकिन कमाई वाले और प्रतिष्ठा वाले विभाग चुनिंदा हैं। जिसको ग्रह विभाग मिलता है वह मंत्रिमंडल में आमतौर पर नंबर वन मंत्री कहलाता है। उसके बाद जिसके पास आबकारी और परिवहन विभाग होता है वह मधुमक्खी का छत्ता कहलाता है इन दोनों विभाग में जो शहद है वह और कहीं नहीं है इन दोनों विभागों पर आमतौर पर मुख्यमंत्री का सीधा कब्जा होता है या फिर मुख्यमंत्री अपने रबर स्टांप मंत्री को यह विभाग देता है सरकारी रिकॉर्ड में होने वाले खर्चों के अलावा दूसरे खर्चे और पार्टी के खर्चे भी इन दोनों डिपार्टमेंट के जरिए होते हैं उसके अलावा नगरीय विकास, सामान्य प्रशासन विभाग डिपार्टमेंट खास होते हैं महिला बाल विकास विभाग में पैसा ज्यादा होता है इसलिए वहां भी सबकी निगाह होती है पर आमतौर पर यह विभाग महिला मंत्री को ही दिया जाता है और पीडब्ल्यूडी,राजस्व, स्वास्थ्य, जल संसाधन, स्कूल शिक्षा और पीएचई डिपार्टमेट मंत्री लेने के लिए सब तरह के हथकंडे अपनाने को तैयार होते हैं। जो सरकार ज्योति सिंधिया के कारण बनी है वह सरकार खुद अपने फैसले नहीं ले सकती यह बात तो समझ में आती है लेकिन इससे बड़ी बात यह है कि ज्योति सिंधिया अब शैडो चीफ मिनिस्टर की भूमिका में दिखाई दे रहे हैं भाजपा हाईकमान ने तो साफ कह दिया है कि जो सिंधिया चाहते हैं वैसा कर दिया जाए लेकिन शिवराज – सिंधिया के साथ-साथ हाईकमान को मनाने की कोशिश कर रहे हैं अब तो यह भी कहा जा रहा है कि हाईकमान ने इन मामलों में साफ तौर पर संदेश देकर डिपार्टमेंट का झगड़ा निपटाने का काम प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे को सौंप दिया है सुना है कि शिवराज कल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी मिलना चाहते थे लेकिन मुलाकात नहीं हो पाई इसलिए आज भोपाल आ गए हैं वैसे कल सिंधिया और सहस्त्रबुद्धे की जो बातचीत दिल्ली में हुई है उसमें कुछ हल निकला है डिपार्टमेंट बांटने की खबर के बीच यह भी पता चला है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जो डिपार्टमेंट सिंधिया के मंत्रियों को देंगे उनमें प्रमुख सचिव अपने नजदीकी अफसरों को बनाएंगे इसलिए हो सकता है कि कुछ दिन बाद ही मंत्री और विभाग डिपार्टमेंट के प्रमुख सचिव के बीच झगड़ों की खबरें आना शुरू हो जाए वैसे यह पुराना फंडा है जो प्रदेश की राजनीति में दिग्विजय सिंह ने ताकत से आगे बढ़ाया था अब देखना है कि सिंधिया चलती है या शिवराज की।