माननीय मुख्य मंत्री द्वारा चलाई जा रहीं योजना हमारा घर हमारा विद्यालय के अंतर्गत आपकी मुस्कान जन जागृति समिति सँस्था सचिव आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को दे रहीं हैं निःशुल्क एक्युप्रेशर परीक्षण सँस्था ने शिक्षा से विद्या शिक्षित एवं सुरक्षित भारत की ओर उठाए कदम 1000 महिलाओं को एक्यूप्रेशर थेरेपिस्ट बनाने का लिया संकल्प।
खराब लाइफस्टाइल और लंबे समय तक टी.वी. मोबाइल,एवं कंप्यूटर के आगे बैठने से,आँखों पे पढ़ रहा है गहरा प्रभाव, कुछ लोग आँखों की रोशनी तेज करने के लिए तरह-तरह की दवाईयों और आई ड्रॉप्स का भी इस्तेमाल करते हैं।
प्राचीनकाल से चली आ रही रिफ्लेक्सोलॉजी विद्या यह बताती है कि,हम सब के शरीर में कुछ ऐसे Points होते हैं, जिन्हें अंग्रेजी भाषा में Accupressure Points कहा जाता है। इन प्वाइंट्स को प्रेस करने से आपके शरीर की कई प्रॉब्लमस दूर हो सकती हैं। आज हम यहां बात करेंगे, आंखों के लिए बेस्ट Accupressure Points के बारे में..
आई सॉकेट प्वाइंट
अपने दोनों हाथ की सबसे पहली उंगली को आंखों के चारों तरफ 5 मिनट तक घुमाएं। ऐसा हर रोज करने से सिर में दर्द, आँखों का भारीपन, स्ट्रेस, गर्दन दर्द और पीठ में दर्द जैसी सभी समस्याएं हल हो जाएंगी।
थर्ड आई प्वाइंट
रिंग फिंगर के साथ अपनी थर्ड आई को प्रेस करने से आँखों का ब्लड सर्कुलेशन अच्छे से होता है। ऐसा करने से सिर में दर्द और नाक से जुड़ी समस्याएं भी ठीक होती हैं। जिन लोगों को सर्दी-जुकाम की समस्या ज्यादा रहती है, उनके लिए यह प्वाइंट प्रेस करना बेहद लाभकारी होता है। इस प्वाइंट को दिन में 3 से 5 मिनट तक प्रेस करना काफी लाभकारी सिद्ध माना जाता है।
नाक का एज
अपने आईब्रॉज के बीच वाली जगह को प्रेस करने से आंखों का भारीपन, पेट का भारीपन और आंखों की लाली ठीक होती है। इस प्वाइंट को प्रेस करने के लिए अंगूठे के साथ वाली दोनों उंगलियों को आइब्रोज के बीच मे रखें और 2 मिनट तक इस जगह को घुमाते जाएं।
नोस्ट्रिल
नाक के आसपास की यह जगह न केवल आपकी आंखों की रोशनी तेज करती है, ब्लकि आपकी त्वचा पर शाइन लाने और सिर दर्द जैसी समस्याओं से भी राहत दिलाती है। अपनी दोनों उंगलियों को नाक के इर्द-गिर्द हिस्सों पर रखें और 2 मिनट तक नाक की मसाज करें। ऐसा करने से आपको बहुत जल्द राहत महसूस होगी। हर रोज इस प्वाइंट को दबाने से बहुत जल्द सिर और नाक से जुड़ी समस्याओं से राहत मिल जाएगी।
आँखों के कोने
अपनी दोनों अंगुलियों को आंखों के कोने पर रखें और लगातार मसाज करते रहें। ऐसा 2 से 5 मिनट तक करें। न केवल आपकी आई बढ़ेगी बल्कि आपकी माइग्रेन की परेशानी भी दूर होगी।
आइए जानते हैं पॉइंट दबाते वक़्त क्यू लेते हैं गहरी लंबी साँस
हमारे शरीर में प्राणतत्व के होने की बुनियादी वजह हमारा सांस लेना है. जब तक हम सांस ले रहे हैं तब तक शरीर में प्राणतत्व बना रहता है. सांस लेना बंद करते ही प्राण तत्व भी शरीर से निकल जाता है. मनुष्य का स्वभाव है कि वह जो उसके पास है उसकी ओर ध्यान न देकर अभाव की ओर ध्यान देता है. सांस तो हर क्षण हमारे साथ है. इसलिए सांस की ओर सबसे कम ध्यान दिया जाता है. यही वजह है कि हम बहुत ही उथली सांस लेते हैं. पर एक बार जब आप जाने लोगे कि गहरी सांस लेने के कितने फायदे हैं, संभवत: तब आप सांस की ओर सबसे ज्यादा ध्यान दोगे. लीजिए जानिए गहरी सांस लेने के दस अद्भुत फायदे-
मैं खुश हूँ
जब आप गहरी सांस लेते हैं, तो शरीर एंडोर्फिन होर्मोन रिलीज करता है,यह होर्मोन न सिर्फ खुशी की अनुभूति देता है बल्कि शरीर के लिए दर्द निवारक का काम भी करता है,दिन में चार-पांच बार गहरी सांस लेने का मतलब है कि आपने चार-पांच बार खुद को खुश होने की वजह दी है,साथ ही यह क्रिया एंडोर्फिर्न दर्द को भी कम करने में अति लाभकारी मानी जाती है।
मैं स्वस्थ हूँ
गहरी सांस लेने से शरीर के टॉक्सिन दूर होते हैं,शरीर जितना इन टॉक्सिन्स से मुक्त होता है उतना ही उसमें रक्त-संचरण यानी ब्लड-फ्लो बेहतर होता है,जितना ब्लड-फ्लो ठीक होता है उतना शरीर के हर हिस्से तक खून पहुंचता है और वह स्वस्थ बना रहता है,ब्लड-फ्लो अच्छा होने से हमारे चेहरे की चमक भी बढ़ती है।
मैं सकारात्मक हूँ
गहरी सांस लेने से शरीर के टॉक्सिन्स और कार्बन डाई ऑक्साइड बाहर जाते हैं और ऑक्सीजन भीतर आती है, जब हमें खूब में अच्छी मात्रा में ऑक्सीजन मिलती है, तो वह हमारे जरूरी अंगों की फंक्शनिंग और इम्यून सिस्टम को अच्छा बनाती है,इसीलिए करोना से लड़ने के लिए कई लोगों ने प्राणायाम की मदद ली, साफ-सुथर, बिना टॉक्सिन का हेल्दी खून सभी प्रकार के इंफेक्शंस को दूर रखता है, और इम्यूनिटी को मजबूत बनाता है, यह शरीर में विटामिन और न्यूट्रिएंट्स के घुलने में भी मदद करता है और सुनिश्चित करता है कि आप किसी भी संक्रमण से जल्दी रिकवर हो जाएं।
मनोवैज्ञानिक एनजाइटी का शिकार हुए अपने पेशंट्स को इसके अचूक इलाज के रूप में गहरी सांस लेने को बोलते हैं, डीप ब्रीदिंग यानी गहरी सांस लेने से हार्ट रेट कम होता है, इससे शरीर में ज्यादा ऑक्सीजन जाती है और इसका सीधा प्रभाव दिमाग पर पड़ता है,इससे होर्मोन्स का संतुलन भी ठीक होता है- एनजाइटी बढ़ाने वाला कोर्टिसोल कम होता है।
मैं सकारात्मक ऊर्जा अपने अंदर गृहण कर रहीं हूँ
जिन लोगों को नींद न आने का रोग है, और जो Insomnia का शिकार हैं उन्हें डॉक्टर प्राणायाम यानी सांसों की एक्सरसाइज करने को कहते हैं क्योंकि गहरी सांस शरीर के टॉक्सिन्स साफ करती है और हमें अच्छी, गहरी नींद देती है,शरीर में सकारात्मक ऊर्जा उतपन्न करती है, गहरी सांस के जरिए जितनी ऑक्सीजन दिमाग तक पहुंचती हैं,हमारा दिमाग उतना ही शांत रहेता है और हमारा दिमाग जितना शांत रहता है हम उतनी ही बेहतर नींद ले पाते हैं।
मैं स्वस्थ जीवन व्यतीत कर रहीं हूँ
विशेषज्ञों ने अपने-अपने ढंग से इस तथ्य को उजागर किया है कि शरीर जितना अम्लीय यानी एसिडिक रहेगा उतना कैंसर जैसे रोग होने का खतरा बढ़ जाता है, इसके उलट शरीर अगर क्षारीय यानी अल्कलाइन रहता है, तो कैंसर कभी पास नहीं फटकता,गहरी सांस लेने से शरीर की अम्लीयता कम होती है यानी वह ज्यादा अल्कलाइन बनता है, तनाव से भी शरीर की एसिडिटी बढ़ती है,Deep breathing तनाव कम करता है जिसकी वजह से शरीर की एसिडिटी भी कम हो जाती है।
हमारे शरीर में लसीका द्रव यानी Lymph fluid को Lymphatic system में ठीक से मूव करने के लिए सांस की अहम भूमिका होती है, उथली सांस से Lymph fluid सिस्टम में बहुत धीमी गति से प्रवाहित होता है, गहरी सांस से उसका प्रवाह सुधरता है और शरीर वायरस आदि के बाहरी हमलों से ज्यादा बेहतर ढंग से लड़ पाता है।
जब हम गुस्से, तनाव या घबराहट में होते हैं तो हमारी मसल्स टाइट हो जाती हैं और सांसें बहुत उथली हो जाती हैं,आपने देखा होगा गुस्से में आदमी छोटी-छोटी सांसें लेने लगता है,गुस्से के वक्त दिमाग भी अशांत हो जाता है,सांसें छोटी होने से मसल्स टाइट होती हैं,तो सांस गहरी होने से मसल्स पर उलटा असर पड़ता है, वे रीलेक्स होती हैं, दिमाग भी शांत होता है,शरीर और दिमाग दोनों रीलेक्स रहते हैं, तो आप अपने सभी कार्य ज्यादा एकाग्रता से कर पाते हैं और जीवन में सफलता के नए-नए मुकाम हासिल करते हैं।
एक्युप्रेशर थेरेपी शरीर स्वस्थ रखने की एक क्रिया है और इंसान जब भी कोई क्रिया बार-बार करता है उसमें सफल अवश्य होता है।
इसलिए आयुर्वेदिक एक्युप्रेशर की इन क्रियाओं को नियमित रूप से करने से जीवन शैली से उत्पन्न बीमारियों पे काफी हद तक रोकथाम किया जा सकता है।