मिस्टर मीडिया! सोच विचार की आज़ादी पर पहरा क्यों ?

Shivani Rathore
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राजेश बादल
हिन्दुस्तान के पड़ोस से आ रहीं मीडिया से जुड़ी ख़बरें डराने वाली हैं।ख़ास तौर पर पाकिस्तान और चीन में निष्पक्ष पत्रकारिता करना ख़तरे से ख़ाली नहीं है।इसलिए इस बार मिस्टर मीडिया में परदेसी पत्रकारिता के हाल और उससे देसी पत्रकारिता पर उमड़ते घुमड़ते चिंता के बादलों के बारे में चर्चा।पहले संसार के सबसे ज़्यादा आबादी वाले मुल्क़ चीन की चर्चा।वहाँ हांगकांग के समाचारपत्र एप्पल डेली पर चीनी सत्ता ने राजद्रोह का आरोप लगाया है। उसके प्रधान संपादक तथा चार अन्य आला अफसरों को गिरफ़्तार कर जेल में डाल दिया गया।

अख़बार की 17 करोड़ की संपत्ति भी ज़ब्त कर ली गई। एप्पल डेली को निष्पक्ष और लोकतंत्र समर्थक माना जाता है।पिछले बरस हांगकांग में लोकतंत्र के समर्थन में जो आंदोलन हुए थे,उसके बाद से यह पहली बड़ी कार्रवाई है। सरकारी चेतावनी है कि जो पत्रकार लोकतंत्र के समर्थन में लिखेगा,उसे राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून का उल्लंघन माना जाएगा। अच्छी बात यह है कि अख़बार इसके आगे झुका नहीं।उसने विरोध में अगले दिन 5 लाख प्रतियाँ छापीं।दिन भर लोग कतार में लग कर इस अंक को ख़रीदते रहे।आमतौर पर यह समाचार पत्र 80 हज़ार प्रतियाँ प्रकाशित करता है।

अब पाकिस्तान की बात।ताज़े आँकड़ों के मुताबिक़ बीते साल में क़रीब डेढ़ सौ पत्रकारों के साथ मारपीट,हत्या,अपहरण या अन्य उत्पीड़न की वारदातें हुईं।हाल ही में राजधानी इस्लामाबाद में पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के चेयरमैन अबसार आलम को गोली मार दी गई।इसके आगे पढ़िए इस स्तंभ की लिंक के ज़रिए।
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इस तरह की आजादी ही असल जम्हूरियत की निशानी है, यह बात ध्यान में रखने की है मिस्टर मीडिया!
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