दिनेश निगम ‘त्यागी’
राज्यसभा चुनाव खत्म होने के साथ मंत्रिमंडल विस्तार की कवायद एक बार फिर तेज है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा एवं प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत के साथ मिलकर मंत्रियों को लेकर उलझी गुत्थी सुलझाने की कोशिश में हैं। शिवराज का संगठन से लगातार विचार विमर्श हो रहा है। राज्यसभा चुनाव की घोषणा से पहले भी इसे लेकर कसरत शुरू हुई थी लेकिन कुछ चेहरों को लेकर संगठन और मुख्यमंत्री के बीच सहमति नहीं बन सकी थी। मुख्यमंत्री अपने पुराने विश्वस्तों को साथ रखना चाहते हैं जबकि संगठन एवं संघ की ओर से कुछ नए नाम सुझाए गए हैं। इस पेंच को सुलझाने की कोशिश हो रही है। खबर है कुछ नामों पर सहमति बन चुकी है जबकि विवाद वाले नामों पर बातचीत के दौर चल रहे हैं। गुत्थी सुलझने के बाद शिवराज दिल्ली जाएंगे और केंद्रीय नेताओं की सहमति से मंत्रियों की सूची फाइनल करेंगे। सूत्रों का कहना है कि इसी हफ्ते मंत्रिमंडल विस्तार किया जा सकता है।
गोपाल, भूपेंद्र को लेकर विवाद…
बुंदेलखंड के सागर जिले से ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक गोविंद सिंह राजपूत मंत्री बन चुके हैं। दो प्रबल दावेदार और हैं गोपाल भार्गव एवं भूपेंद्र सिंह। ताजा हालात में एक जिले से तीन मंत्री नहीं बन सकते, इसलिए मुख्यमंत्री चाहते हैं कि गोपाल भार्गव विधानसभा अध्यक्ष बन जाएं और भूपेंद्र को मंत्री बना दिया जाए लेकिन भार्गव विधानसभा अध्यक्ष बनने के लिए तैयार नहीं हैं। वे मंत्री ही बनना चाहते हैं। बुंदेलखंड के टीकमगढ़ से हरिशंकर खटीक को लें या पन्ना के बृजेंद्र प्रताप सिंह को, यह भी चर्चा में शामिल हैं। दोनों पहले मंत्री रहे हैं।
भदौरिया, विश्नोई, बिसेन पर पेंच…
कमलनाथ सरकार गिराने एवं भाजपा सरकार बनाने के लिए बागियों को लामबंद रखने में विधायक अरविंद भदौरिया की प्रमुख भूमिका रही है। वे मंत्री पद के प्रबल दावेदार हैं लेकिन संगठन के कई नेता उन्हें नहीं चाहते। जबलपुर जिले से अजय विश्नाई की प्रबल दावेदारी है लेकिन संगठन ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्वर्गीय ईश्वरदास रोहाणी के बेटे अशोक रोहाणी का नाम आगे बढ़ाया है। बालाघाट से गौरीशंकर बिसेन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पसंद हैं, इनकी जगह पार्टी अब नई पीढ़ी के रामकिशोर कांवरे को लेना चाहती है। दोनों ही पिछड़ा वर्ग से आते हैं।
उज्जैन, इंदौर के नामों पर सहमति नहीं…
उज्जैन संभाग से पूर्व मंत्री पारस जैन मंत्री पद के प्रमुख दावेदार हैं लेकिन इनकी जगह जैन समाज से ही चैतन्य कश्यप का नाम पार्टी की ओर से बढ़ाया गया है। इंदौर से ऊषा ठाकुर और रमेश मेंदोला के नाम पर खींचतान चल रही है। विवाद नहीं सुलझा तो मालिनी गौड़ के नाम पर सहमति बनाने की कोशिश हो सकती है। इस अंचल से तुलसी सिलावट पहले मंत्री बन चुके हैं। विजय शाह जैसे ताकतवर दावेदार भी मंत्री बनने की कतार में हैं।
भोपाल को लेकर असमंजस…
मंत्रिमंडल में भोपाल से आमतौर पर दो मंत्री बनते रहे हैं। यहां से तीन प्रमुख दावेदार हैं। पूर्व मंत्री विश्वास सारंग का दावा बरकरार है। वे वरिष्ठ नेता कैलाश नारायण सारंग के बेटे हैं। भाजपा संगठन की ओर से दलित वर्ग से विधायक विष्णु खत्री का नाम आगे बढ़ाया गया है जबकि संघ और पार्टी के कई दिग्गज हिंदुत्व की छवि के कारण रामेश्वर शर्मा की सिफारिश कर रहे हैं। बाहरी समर्थन के कारण इस बार यह भी संभव है कि भोपाल से एक ही मंत्री बने। इसकी वजह से असमंजस बरकरार है।
रीवा संभाग में कई दावेदार…
रीवा से पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ला मुख्यमंत्री की पसंद हैं और संभाग में अच्छा प्रदर्शन का श्रेय भी उनके खाते में हैं। इसलिए उनका दावा फिर मजबूत है। संगठन की ओर से पिछड़ा वर्ग के राम खिलावन पटेल और आदिवासी कुंवर सिंह टेकाम के नाम आगे बढ़ाए गए हैं, लेकिन केदार शुक्ला और गिरीश गौतम की दावेदारी को लेकर दबाव बना हुआ है। विंध्य अंचल से मीना सिंह मंत्री बन चुकी हैं जबकि बागी बिसाहूलाल सिंह का मंत्री बनना तय है। नागेंद्र सिंह नागौद एवं नागेंद्र सिंह गुढ़ की भी दावेदारी है। यहां का विवाद भी नहीं सुलझ पा रहा है।