केंद्रीय वित्त मंत्री ने 01 फरवरी को अपना आठवां बजट पेश किया। बजट पेश करते हुए उन्होंने मखाने का भी जिक्र किया है। मखाने का जिक्र करते हुए बिहार में मखाने बोर्ड के गठन का ऐलान किया। रिपोर्ट्स की मानें तो भारत दुनिया का 90 फीसदी मखाना पैदा करता है। वहीं, अकेले बिहार में 80 फीसदी मखाना पैदा होता है। वित्त मंत्री ने बिहार में मखाना बोर्ड के गठन की भी बात कही है। सरकार मखाना के उत्पादन को प्रोत्साहित करने का प्रयास कर रही हैं।
आपको बता दें कि बिहार के 10 जिलों में मखाना की खेती होती है। बिहार के सीतामढ़ी, मधुबनी, दरभंगा, सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, अररिया, पूर्णिया, कटिहार और किशनगंज जिलों में मखाना उगाया जाता है। इन क्षेत्रों से आने वाले मखानों को GI टैग दिया गया हैं।
कैसे उगता है मखाना?
मखाना कमल के पौधे का एक हिस्सा है। यह कमल के फूल का बीज होता है, जिसे प्रोसेस किया जाता है। मखाना को प्रोसेसिंग के जरिए तैयार किया जाता है। इसके बीजों को दिसंबर के महीने में किसी तालाब या गड्ढे में बोया जाता है। बीज बोने से पहले तालाब की सफाई करना जरूरी है। इसके बीज बोते समय इस बात का ध्यान रखा जाता है कि इनके बीच की दूरी ज्यादा न हो। 30 दिन के अंदर देखा जाता है कि बीज अंकुरित हो रहा है या नहीं।
इन्हें इकट्ठा करने का काम आसान नहीं है। इन्हें गोता लगाकर या बांस की मदद से पानी से बाहर निकाला जाता है। इसके बाद इन्हें बड़े बर्तन में रखकर लगातार हिलाया जाता है। ऐसा करने से कमल के बीजों पर लगी गंदगी साफ हो जाती है। इसके बाद इन्हें पानी से धोया जाता है। अब साफ किए गए बीजों को थैलियों में भरकर बेलनाकार कंटेनर में भर दिया जाता है।
इस कंटेनर को जमीन पर काफी देर तक घुमाया जाता है, ताकि बीज चिकने हो जाएं। इसके बाद इन बीजों को अगले दिन के लिए तैयार किया जाता है। इसके बाद अगले दिन बीजों को कम से कम 3 घंटे तक सुखाया जाता है।
तलने के बाद तैयार होते हैं मखाने
जब मखाने पूरी तरह सूख जाएं तो इन्हें तल लिया जाता है। यह पूरी प्रक्रिया एक निश्चित समय सीमा के अंदर पूरी कर लेनी चाहिए। तलने के बाद इन्हें बांस के बर्तन में रखा जाता है, जिसे एक खास कपड़े से ढक दिया जाता है। सही तापमान बनाए रखने के लिए इस पर गाय का गोबर लगाया जाता है। कुछ घंटों के बाद इन्हें फिर से तला जाता है और यही प्रक्रिया अपनाई जाती है। जब बीज फूटता है तो उसमें से सफेद गूदा निकलता है।