कश्मीर के राजौरी में रहस्यमयी बीमारी से 17 की मौत, सील की गई बावड़ी, गृहमंत्री ने दिए जाँच के आदेश

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जम्मू-कश्मीर के एक दूरदराज गांव में तीन परिवारों के 17 सदस्यों की रहस्यमयी मौतों ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। इन मौतों की असल वजह का अभी तक कोई स्पष्ट पता नहीं चल सका है, लेकिन अधिकारियों ने जांच शुरू कर दी है। इस बीच, एक गंभीर पहलू सामने आया है, जिससे यह मामला और भी रहस्यमय हो गया है – बधाल गांव में स्थित एक बावड़ी में पानी के नमूनों में कीटनाशकों की मौजूदगी पाई गई है। इसके चलते, प्रशासन ने प्रभावित क्षेत्र की घेराबंदी कर दी है और सुरक्षाकर्मियों की तैनाती कर दी है।

बावड़ी की घेराबंदी और सुरक्षाकर्मियों की तैनाती

राजौरी जिले के बधाल गांव में स्थित बावड़ी को लेकर अधिकारियों ने गंभीर कदम उठाए हैं। अतिरिक्त उपायुक्त दिल मीर ने आदेश दिया कि बावड़ी के पास चौबीसों घंटे सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की जाए। इस बावड़ी से लिए गए पानी के नमूनों में कीटनाशकों की पुष्टि हुई है, और अधिकारियों को आशंका है कि गांव के लोग इस पानी का इस्तेमाल कर सकते हैं। मीर ने तहसीलदार खवास को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि कोई भी ग्रामीण इस पानी का उपयोग न करे, ताकि कोई और अप्रिय घटना न हो।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का आदेश

इस रहस्यमयी मौतों के मामले में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तुरंत कार्रवाई करते हुए एक अंतर-मंत्रालयी टीम के गठन का आदेश दिया। यह टीम बधाल गांव में हो रही मौतों के कारणों की जांच करेगी। अधिकारियों के मुताबिक, जम्मू के एसएमजीएस अस्पताल में इलाज करा रहे मोहम्मद असलम के छह बच्चों में से यासमीन कौसर की भी मृत्यु हो गई है। कौसर के अलावा, उनके पांच भाई-बहनों और दादा-दादी की भी पिछले सप्ताह मौत हो चुकी थी। इससे पहले, दिसंबर के पहले सप्ताह में, दो परिवारों के नौ और सदस्यों की मौत हुई थी, जो इस रहस्यमयी घटना को और भी जटिल बना देती है।

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की टिप्पणी

इस घटना के बाद उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर स्वास्थ्य विभाग और अन्य संबंधित विभागों ने इस मामले की गंभीरता से जांच शुरू कर दी है। हालांकि, अब तक मौतों के सही कारण का पता नहीं चल सका है। उन्होंने यह भी बताया कि गृह मंत्री के निर्देश के बाद एक विशेषज्ञ टीम को बधाल गांव भेजा गया है, जो जल्द ही इस मामले की जांच करेगी।

पीड़ितों की स्थिति

मौतों से प्रभावित परिवारों में से कई लोगों ने अस्पतालों में भर्ती होने के बाद बुखार, शरीर में दर्द, मतली और चेतना में कमी जैसी शिकायतें की थीं। कुछ दिनों के भीतर ही इन मरीजों की भी मौत हो गई, जिससे यह मामला और भी संदिग्ध हो गया।