डॉलर के मुकाबले लगातार कमजोर हो रहा रुपया, अब तक के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचा, US फेड के फैसले से लगा तगड़ा झटका

srashti
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Rupees vs Dollar : बुधवार को भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अपने अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। यह 84.94 प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ, जो पिछले दिन 84.91 प्रति डॉलर था। बुधवार को रुपया 84.92 पर खुला, और दिन में यह 84.95 तक गिर गया, लेकिन आखिरकार 84.94 पर स्थिर हो गया।

फेड रिजर्व का ब्याज दर में कटौती का प्रभाव

अमेरिकी केंद्रीय बैंक, फेड रिजर्व, की बैठक में बेंचमार्क ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत (25 बेसिस प्वाइंट) की कटौती की संभावना जताई जा रही है। अगर ऐसा होता है, तो इसका असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है। विशेष रूप से, शेयर बाजार और निवेशकों पर इसका प्रभाव पड़ सकता है।

फेड रिजर्व द्वारा दर में कटौती के बाद निवेशक शेयर बाजारों पर दांव लगा सकते हैं, जैसा कि सीएमई फेडवॉच टूल के आंकड़ों से साफ है। इसमें 97.1 प्रतिशत निवेशक यह मानते हैं कि फेड दर में कटौती करेगा, जबकि दर में कोई बदलाव न होने की संभावना केवल 3 प्रतिशत से भी कम है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के ट्वीट ने एशियाई मुद्राओं पर दबाव डालने का काम किया है, जिसमें रुपया भी शामिल है। ट्रम्प ने कहा कि यदि दूसरे देशों ने अमेरिका पर टैक्स लगाया तो वह भी उन देशों पर उतना ही टैक्स लगाएंगे। ट्रम्प का यह बयान विशेष रूप से भारत पर असर डाल रहा है, जहां कई उत्पादों पर भारी शुल्क लागू है।

उन्होंने कहा, “भारत हमसे कुछ उत्पादों पर 100 या 200 प्रतिशत शुल्क लेता है। अगर हमें साइकिल भेजी जाती है, तो हम भी उन्हें साइकिल भेजते हैं और उन पर भारी टैक्स लगाते हैं।” यह बयान भारतीय रुपये के लिए और अधिक दबाव पैदा कर सकता है।

रुपया अपनी गिरावट के कारण दबाव में है, जिसका एक कारण विदेशी निवेशकों का भारत से बाहर जाना और व्यापार घाटा है। नवंबर में व्यापार घाटा बढ़ने के कारण रुपये पर और दबाव पड़ा। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर 5.4 प्रतिशत रही, जो अपेक्षाकृत धीमी है।

RBI का विदेशी मुद्रा भंडार कम होना

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के लिए रुपये का अवमूल्यन चिंता का कारण बन गया है, जिससे उसे मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप करने के लिए मजबूर होना पड़ा। इसके परिणामस्वरूप, भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आई है। पिछले दो महीनों में यह भंडार 46 अरब डॉलर से अधिक घट चुका है। 6 दिसंबर तक यह 654.857 अरब डॉलर तक आ गया, जबकि 4 अक्टूबर को यह 704.885 अरब डॉलर था।

इस साल अब तक रुपये में लगभग 2 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक चुनौती बन रही है।