मितरों आज पवित्र शहर और प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र बनारस की कुछ मैदानी हकीकत जानते है… जो अभी तक भटैत और बिकाऊ न्यूज चैनलों ने नहीं दिखाई… जिस मुंबई को बदनाम किया, उसके कोरोना प्रबंधन की तारीफ हालांकि मोदी ने कर दी .. मगर उनके खुद के क्षेत्र में कोरोना कोहराम इस कदम मचा कि पैरासिटामॉल जैसी मामूली दवाई तक उपलब्ध नहीं और एक्सपायर्ड मेडिसीन तक लोग खाने को मजबूर हैं… नए आधुनिक ऑक्सीजन प्लांट के तो ठिकाने नहीं और जो पुराने छोटे मोटे प्लांट बन्द पड़े थे , उन्हें जैसे-तेसे शुरू किया है… हफ्ते भर में टेस्टिंग के परिणाम मिल रहे, तो तमाम अस्पतालों में भयानक अराजकता और लूट मची है कि चार-पांच लाख रुपए एडवांस जमा करवाने पर भी बेड और इलाज के पते नही है।
यही कारण है कि हरिश्चन्द्र और मणिकर्णिका घाट पर पिछले एक महीने से अनवरत चिताएं जल रही हैं… शवों की तादाद इतनी ज्यादा है कि घाट छोड़ सड़कों पर जल रही चिताओं के फोटो-वीडियो भी सामने आए है। टाइम से लेकर इंडिया टुडे ने इन्हें प्रकाशित भी किया है…17 बार पश्चिम बंगाल का चुनावी दौरा करने वाले मोदी जी ने जिस तरह पूरे देश को भगवान भरोसे छोड़ दिया, वही हाल उनके क्षेत्र बनारस का है… मैं नहीं आया ..मुझे तो माँ गंगा ने बुलाया है…पर्चा भरते वक्त बोले ऐसे फिल्मी संवाद पर बनारस के साथ देश की जनता ने भी खूब तालियां पिटी थीं और अब देश के साथ बनारस की बदहाल कोरोना पीडि़त जनता ये ही सवाल पूछ रही है.कहां हो मोदी कब दर्शन दोगे ? ये तो जगजाहिर हो ही गया कि चुनावी जुनून के कारण कोरोना प्रबंधन को ताक पर रखा गया, जिसके कारण पूरे देश ने ऑक्सीजन, इंजेक्शन, बेड से लेकर इलाज की भीषण समस्या का सामना किया और 1 लाख से अधिक लोग इलाज के अभाव में ही मर गए…बनारस की चर्चा के साथ ये भी जान लें कि इस शहर को स्मार्ट सिटी तो घोषित किया वही जापान के क्योटो तीर्थ स्थल जैसा खूबसूरत बना देने का दावा भी मोदी ने किया था. लेकिन फिलहाल तो कोरोना से हलाकान बनारस की जनता सरकार को लानतें भेज रही है..वैसे ये अकेले बनारस के हाल नही है बल्कि लखनऊ से लेकर पूरे उप्र के है ..जिसके मुखिया को व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से दीक्षित छात्र भावी पीएम बताते नहीं थकते…अफ़सोस हमें ऐसे नायक मिले जो धर्म-जाति की अफ़ीम बांटते रहे और शिक्षा-स्वास्थ में भोंदू निकले ..
राजेश ज्वेल