Maha Kumbh 2025 : महाकुंभ मेला, जो हर 12 साल में एक बार आयोजित होता है, 2025 में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में होने जा रहा है। यह विशाल धार्मिक उत्सव 29 जनवरी 2025 से लेकर 8 मार्च 2025 तक आयोजित होगा। यह मेला सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर होता है, जिसमें दुनियाभर से लाखों श्रद्धालु और साधु-संत पवित्र संगम में आकर डुबकी लगाते हैं। इस वर्ष का महाकुंभ विशेष रूप से सिद्धि योग के दौरान आयोजित होगा, जो इसे और भी पवित्र और महत्वपूण बना देता है।
Maha Kumbh 2025: महाकुंभ के दौरान शाही स्नान की तारीखें
महाकुंभ में शाही स्नान का आयोजन बेहद महत्वपूर्ण होता है। यह दिन खास धार्मिक महत्व रखते हैं और इन दिनों स्नान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति मानी जाती है। 2025 के महाकुंभ में शाही स्नान की तिथियां निम्नलिखित हैं:
- 13 जनवरी 2025: महाकुंभ 2025 का पहला शाही स्नान, जो पौष पूर्णिमा के दिन होगा।
- 14 जनवरी 2025: मकर संक्रांति के अवसर पर दूसरा शाही स्नान।
- 29 जनवरी 2025: मौनी अमावस्या के दिन शाही स्नान।
- 3 फरवरी 2025: बसंत पंचमी के दिन शाही स्नान।
- 12 फरवरी 2025: माघ पूर्णिमा के दिन शाही स्नान।
- 26 फरवरी 2025: महाशिवरात्रि के दिन शाही स्नान।
Maha Kumbh 2025: महाकुंभ मेला किन स्थानों पर आयोजित होता है?
महाकुंभ मेला भारत के चार प्रमुख स्थानों पर आयोजित होता है, जहां हर स्थान पर विशेष ज्योतिषीय स्थिति के अनुसार कुंभ का आयोजन होता है। ये चार स्थान हैं:
- हरिद्वार: जब सूर्य मेष राशि और बृहस्पति कुंभ राशि में होते हैं।
- प्रयागराज: जब सूर्य मकर राशि में होते हैं।
- नासिक: जब सूर्य और बृहस्पति राशि में होते हैं।
- उज्जैन: जब सूर्य मेष राशि और बृहस्पति सिंह राशि में होते हैं।
इन स्थानों पर कुंभ मेले के आयोजन का संबंध हिन्दू धर्म के एक महत्वपूर्ण ज्योतिषीय संयोग से होता है, जो हर बार करीब 12 साल में आता है।
Maha Kumbh 2025: महाकुंभ का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व
महाकुंभ मेला एक ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व का आयोजन है, जिसकी उत्पत्ति समुद्र मंथन से जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि जब देवता और असुर अमृत कलश के लिए युद्ध कर रहे थे, तब चार स्थानों पर अमृत की कुछ बूँदें गिरीं, जिन्हें अब कुंभ के स्थान माना जाता है। हर कुंभ के दौरान, लाखों लोग इन स्थानों पर आकर पवित्र स्नान करते हैं और पुण्य प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं।
महाकुंभ मेला न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह एक अद्वितीय सामाजिक और सांस्कृतिक घटना भी है। दुनिया भर से लोग यहां आते हैं, और साधु-संतों के दर्शन प्राप्त करने के लिए लाखों श्रद्धालु जुटते हैं। 2003 के हरिद्वार कुंभ में 10 मिलियन से अधिक श्रद्धालु शामिल हुए थे, जो इस आयोजन की विशालता को दर्शाता है।
Maha Kumbh 2025: महाकुंभ में स्नान का महत्व
महाकुंभ में स्नान को विशेष रूप से पवित्र माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यहां स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि महाकुंभ मेला दुनियाभर से लोगों को आकर्षित करता है। स्नान के बाद श्रद्धालु मानते हैं कि वे शुद्ध हो जाते हैं और उनका जीवन सुखमय होता है।