Uttar Pradesh : उत्तर प्रदेश प्रशासन द्वारा सड़क अतिक्रमण के नाम पर एक याचिकाकर्ता के घर को बुलडोजर से तोड़े जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर नाराजगी जताई है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने इस कार्रवाई को लेकर कड़ा विरोध किया और कहा कि इस तरह से घरों को तोड़ना अराजकता है। कोर्ट ने प्रशासन से पूछा कि बिना किसी नोटिस के किसी के घर को तोड़ने का क्या औचित्य था।
सीजेआई ने प्रशासन की कार्रवाई को ‘मनमाना’ करार दिया
सीजेआई ने इस मामले को ‘मनमाना’ बताते हुए कहा कि प्रशासन ने कोई उचित प्रक्रिया अपनाए बिना और बिना नोटिस जारी किए घरों को तोड़ना शुरू कर दिया। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या इस तरह की कार्रवाई से न्याय का उद्देश्य पूरा होगा और क्या दंडात्मक हर्जाना दिया जाएगा। उन्होंने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच की मांग की।
वकील ने मामले की जांच की मांग की, यूपी सरकार पर सवाल उठाए गए
याचिकाकर्ता के वकील ने इस कार्रवाई की जांच की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के वकील से सवाल पूछा कि कितने घरों को तोड़ा गया और क्या आधार है कि ये निर्माण अवैध थे। जस्टिस जेबी पारदीवाला ने यूपी सरकार के वकील से यह सवाल भी किया कि अगर पिछले 50 वर्षों से राज्य ने इन निर्माणों पर ध्यान नहीं दिया, तो अब यह कार्रवाई क्यों की जा रही है।
सीजेआई ने मनोज टिबरेवाल की शिकायत का लिया संज्ञान
सीजेआई ने वार्ड नंबर 16, मोहल्ला हामिदनगर में अपने पैतृक घर और दुकान को ध्वस्त किए जाने की शिकायत करने वाले मनोज टिबरेवाल द्वारा भेजे गए पत्र का संज्ञान लिया। इसके बाद रिट याचिका पर नोटिस जारी किया गया और इस मामले की जांच शुरू करने की प्रक्रिया शुरू की गई।
जस्टिस पारदीवाला ने यूपी प्रशासन के खिलाफ सख्त टिप्पणी की
जस्टिस जेबी पारदीवाला ने यूपी सरकार के वकील से कहा कि सरकारी अधिकारियों ने रातों-रात सड़क चौड़ीकरण के लिए पीले निशान वाली जमीन को तोड़ा और फिर अगली सुबह बुलडोजर लेकर घरों को गिराना शुरू कर दिया। उन्होंने इसे ‘अपहरण’ जैसा बताया और कहा कि परिवारों को घर खाली करने का समय भी नहीं दिया गया। जस्टिस पारदीवाला ने यह भी कहा कि सड़क चौड़ीकरण का मुद्दा महज एक बहाना था, और इस पूरी कार्रवाई के पीछे कोई सच्चा उद्देश्य नजर नहीं आता।