मध्यप्रदेश के सरकारी कर्मचारियों को हाल ही में महंगाई भत्ते (डीए) में बढ़ोतरी मिलने के बाद अब संविदा कर्मचारियों ने भी नियमित कर्मचारियों के बराबर डीए दिए जाने की मांग उठाई है। फिलहाल, संविदा कर्मचारियों को महंगाई भत्ता उनकी सीपीआई (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) के आधार पर दिया जाता है, जो नियमित कर्मचारियों के मुकाबले काफी कम है। यही कारण है कि संविदा कर्मचारी इस असमानता के चलते नाराज हैं और सरकार से अपनी मांगों को लेकर दबाव बना रहे हैं।
क्या है संविदा कर्मचारियों की समस्या?
संविदा कर्मचारियों को जो महंगाई भत्ता मिलता है, वह उनकी सीपीआई इंडेक्स के आधार पर तय होता है। यह भत्ता, नियमित कर्मचारियों के मुकाबले 6 हजार रुपये कम है, जिसके कारण उन्हें वित्तीय असमानता का सामना करना पड़ता है। जबकि नियमित कर्मचारियों को अब 50 प्रतिशत डीए मिल रहा है, संविदा कर्मचारियों को महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी नहीं मिल पा रही है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पर असर पड़ रहा है। यही कारण है कि संविदा कर्मचारी इस भत्ते में समानता की मांग कर रहे हैं।
शिवराज सरकार का पूर्व वादा और पंचायत की पहल
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले संविदा कर्मचारियों की नाराजगी को देखते हुए पंचायत का आयोजन किया था। इस पंचायत में यह वादा किया गया था कि संविदा कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान किया जाएगा। खासकर महंगाई भत्ते को सीपीआई इंडेक्स से जोड़ने का निर्णय लिया गया था, जिसे 22 जुलाई 2023 से लागू भी कर दिया गया। इसके बावजूद, संविदा कर्मचारियों को अभी भी नियमित कर्मचारियों की तरह महंगाई भत्ता नहीं मिल पा रहा है, जो उनकी मांगों के केंद्र में है।
संविदा कर्मचारियों द्वारा सरकार को ज्ञापन सौंपना
संविदा कर्मचारियों ने सीपीआई इंडेक्स के स्थान पर सातवें वेतनमान के हिसाब से महंगाई भत्ता दिए जाने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री को दो बार ज्ञापन सौंपा है। अब, संविदा कर्मचारी संघ ने घोषणा की है कि वे जल्द ही एक और ज्ञापन सरकार को सौंपने वाले हैं, ताकि उनकी समस्याओं का समाधान किया जा सके। इस ज्ञापन में वे अपनी मांगों को फिर से प्रमुखता से रखेंगे।
संविदा कर्मचारियों को हो रहा नुकसान
संविदा कर्मचारियों को जो महंगाई भत्ता मिलता है, वह सीपीआई इंडेक्स के आधार पर तय होता है, और इसमें बढ़ोतरी की गुंजाइश सीमित है। इसके कारण, नियमित कर्मचारियों के मुकाबले उन्हें कम वित्तीय लाभ मिल रहा है। फिलहाल, नियमित कर्मचारियों को 50 प्रतिशत डीए मिल रहा है, जबकि संविदा कर्मचारियों का महंगाई भत्ता अब तक सीपीआई इंडेक्स के हिसाब से स्थिर बना हुआ है। यही कारण है कि एक साल तक उनकी सैलरी में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है और वे समान वेतन पर काम कर रहे हैं, जिससे उन्हें आर्थिक रूप से नुकसान हो रहा है।