Kartik Amavasya 2024: कब हैं कार्तिक अमावस्या? स्नान-दीपदान के अलावा जानें इसका धार्मिक महत्व और नियम

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Kartik Amavasya 2024 : कार्तिक माह का आरंभ 18 अक्टूबर 2024 से हो रहा है, और यह महीना विशेष रूप से स्नान-दान के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस महीने में भगवान विष्णु जल में वास करते हैं, जिससे इस दौरान किए गए स्नान का महत्व और भी बढ़ जाता है। खासकर कार्तिक अमावस्या और पूर्णिमा को तीर्थ स्नान और दान से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।

कार्तिक अमावस्या 2024 की तारीख

इस साल कार्तिक अमावस्या 1 नवंबर 2024 को शुक्रवार के दिन है, और इस दिन दिवाली भी मनाई जाएगी। स्कंद और भविष्य पुराण के अनुसार, कार्तिक अमावस्या पर लक्ष्मी पूजन के साथ-साथ तीर्थ स्नान और दान से सभी पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।

कार्तिक अमावस्या 2024 का मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, कार्तिक अमावस्या का प्रारंभ 31 अक्टूबर 2024 को दोपहर 03:52 बजे से होगा और यह 1 नवंबर 2024 को शाम 06:16 बजे तक रहेगा। इसके विशेष मुहूर्त इस प्रकार हैं:

  • स्नान-दान मुहूर्त: सुबह 4:50 – सुबह 5:41
  • प्रदोष काल: शाम 05:36 – रात 08:11
कार्तिक अमावस्या का धार्मिक महत्व

ब्रह्म पुराण के अनुसार, कार्तिक अमावस्या पर देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं। पद्म पुराण में भी कहा गया है कि इस दिन दीपदान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, स्कंद पुराण में उल्लेख है कि इस दिन गीता पाठ और अन्न, ऊनी वस्त्रों का दान करने से देवता और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे सुख, समृद्धि और सफलता की प्राप्ति होती है।

कार्तिक अमावस्या पर कौन से कार्य करें शुभ
  1. प्रभात व्रत और स्नान: कार्तिक अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर तीर्थ नदी या जल से स्नान करना शुभ माना जाता है। इसके बाद सूर्य को अर्घ्य दें।
  2. पितरों के लिए तर्पण: पितरों के नाम तर्पण करना और जल में तिल प्रवाहित करना विशेष लाभकारी होता है।
  3. नवग्रह स्त्रोत का पाठ: इस दिन सुबह नवग्रह स्त्रोत का पाठ करने से ग्रह दोष समाप्त होते हैं और जीवन में शांति आती है।
  4. शिवलिंग का अभिषेक: प्रदोष काल में शिवलिंग पर शहद से अभिषेक करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं।
  5. दीपदान: शाम को घर के बाहर मुख्य द्वार और आंगन में दीपक जलाएं। इससे घर में लक्ष्मी का वास होता है और पितर तथा यमराज प्रसन्न होते हैं।

इस दिन को लेकर धार्मिक मान्यताएं और पौराणिक महत्व इसे विशेष रूप से पूज्य बनाते हैं, और इसे सुख, समृद्धि और पुण्य के प्राप्ति का अवसर माना जाता है।