Tamil Nadu: तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि ने हाल ही में राज्य में बढ़ते अलगाववाद के खतरे पर चिंता जताई। उन्होंने शुक्रवार को एक समारोह में कहा कि तमिलनाडु को भारत से अलग करने की कोशिशें की जा रही हैं, लेकिन ऐसी कोशिशें सफल नहीं होंगी। उनका यह बयान विभिन्न राजनीतिक दलों और भाषा मुद्दों को लेकर राज्य में चल रही बहसों के संदर्भ में आया है।
हिंदी भाषा का विरोध और उसकी पृष्ठभूमि
राज्यपाल ने हिंदी माह के समापन समारोह में यह टिप्पणी की, जिसमें उन्होंने कहा कि तमिलनाडु एक ऐसा राज्य है जो तीन भाषाओं के फार्मूले का विरोध कर रहा है। उन्होंने अन्य 27 राज्यों की तुलना में तमिलनाडु की स्थिति को उजागर करते हुए बताया कि यहां राजनीतिक दल हिंदी भाषा को थोपने के खिलाफ विमर्श कर रहे हैं, जिसे उन्होंने एक बहाना करार दिया।
संवाद का टूटना और एकता का महत्व
आर एन रवि ने कहा कि ऐसे विचारधाराओं और अलगाववादी नीतियों से भारत की एकता को कमजोर नहीं किया जा सकता। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि तमिलनाडु को अन्य हिस्सों से अलग करने की जो कोशिशें हो रही हैं, वे असफल होंगी। उन्होंने इस संदर्भ में भारत को बांटने वाले लोगों को फटकार भी लगाई।
मुख्यमंत्री एमके स्टालिन का प्रतिक्रिया
इस बीच, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने राज्यपाल के खिलाफ तीखा हमला किया। उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान ‘तमिल थाई वज़्थु’ गीत में ‘द्रविड़’ शब्द की एक पंक्ति को छोड़ने के लिए आर एन रवि पर आरोप लगाया। स्टालिन ने कहा कि यह राष्ट्रीय एकता का अपमान है और उन्होंने केंद्र से राज्यपाल को वापस बुलाने की मांग की।
तनावपूर्ण संबंध
राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच बढ़ते तनाव का यह एक नया उदाहरण है। स्टालिन ने आर एन रवि पर नस्लवादी टिप्पणी करने का आरोप लगाया, जबकि रवि ने पलटवार करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने उनके खिलाफ भ्रामक आरोप लगाए हैं। यह विवाद राजनीतिक और सामाजिक दोनों ही स्तरों पर चर्चा का विषय बना हुआ है।