RBI Governor Shaktikanta Das: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज नई दिल्ली में एक उच्च स्तरीय सम्मेलन को संबोधित किया, जिसका विषय “Central Banking at Crossroad” था। अपने भाषण में उन्होंने बैंकों के कार्यप्रणाली पर चर्चा की और मौजूदा वैश्विक चुनौतियों के बीच बैंकों को सतर्क रहने के लिए कुछ आवश्यक बातें साझा कीं।
RBI@90 इनिशिएटिव के तहत की-नोट एड्रेस
नई दिल्ली में अपने की-नोट संबोधन में, शक्तिकांत दास ने आरबीआई के 90 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित RBI@90 इनिशिएटिव के तहत कहा कि आज की वैश्विक अर्थव्यवस्था पहले से कहीं अधिक एकीकृत है। उन्होंने बताया कि विश्वभर के बैंकों की मौद्रिक नीतियों में बदलाव से पूंजी प्रवाह और विनिमय दर में अस्थिरता उत्पन्न हो रही है।
बैंकों को अलर्ट करने वाले महत्वपूर्ण मुद्दे
गवर्नर ने बैंकों को सोशल मीडिया के क्षेत्र में सतर्क रहने की सलाह दी। उन्होंने यह भी कहा कि बैंकों को किसी भी संकट का सामना करने के लिए अपने लिक्विडिटी बफर, यानी बैंकों में तरल पूंजी प्रवाह, को मजबूत बनाए रखना चाहिए।
रेमिटेंस और कैपिटल फ्लो की संभावनाएं
शक्तिकांत दास ने यह भी कहा कि रेमिटेंस को बढ़ाने और कैपिटल फ्लो के समय को कम करने की बड़ी संभावनाएं हैं। उन्होंने केंद्रीय बैंकिंग को फिर से परिभाषित करने के लिए तीन प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने का प्रस्ताव दिया: मौद्रिक नीति, वित्तीय स्थिरता, और नई तकनीक।
चुनौतियों का सामना
अपने संबोधन में, गवर्नर ने अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों में कटौती के संकेत दिए। इसके अलावा, बैंक ऑफ जापान और चीन के केंद्रीय बैंक के हालिया निर्णयों को ध्यान में रखते हुए, उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के साझा खतरों और हितों के संदर्भ में भारत के केंद्रीय बैंक को उचित कदम उठाने की आवश्यकता है। 9 अक्टूबर को आरबीआई की मौद्रिक नीति के फैसलों की घोषणा करते समय गवर्नर ने रेपो रेट को स्थिर रखने का निर्णय लिया था।