इनकम टैक्स एक ऐसा कानून है, जो केवल 6 से 7 करोड़ लोगों पर लागू होता है, लेकिन इसका असर पूरे देश के नागरिकों पर पड़ता है। अब सरकार ने इस 60 साल पुराने कानून में बड़े बदलाव करने का फैसला लिया है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने इस बदलाव के लिए आम जनता से सुझाव मांगे हैं। उनका कहना है कि मुख्य उद्देश्य टैक्स प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाना है, जिससे लालफीताशाही समाप्त हो सके।
आंतरिक समिति की गठन
सीबीडीटी ने आयकर अधिनियम की समीक्षा के लिए एक आंतरिक समिति का गठन किया है। यह समिति चार प्रमुख पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करेगी:
भाषा को सरल बनाना: ताकि आम नागरिक इसे आसानी से समझ सकें।
विवादों को कम करना: जिससे कर भुगतान में पारदर्शिता बढ़े।
अनुपालन को घटाना: ताकि करदाताओं को परेशानी न हो।
व्यवहारिकता बढ़ाना: कर कानूनों को अधिक व्यावहारिक बनाना।
सुझाव भेजने का अवसर
सीबीडीटी ने आम जनता को सूचित किया है कि वे इनकम टैक्स पोर्टल के माध्यम से अपने सुझाव भेज सकते हैं। 13 अक्टूबर से सुझाव मांगे जा रहे हैं, और लोग ओटीपी के जरिए वेरिफाई करके अपने विचार साझा कर सकते हैं। सुझाव भेजने के लिए निम्नलिखित लिंक पर जाएं: इनकम टैक्स पोर्टल.
मौजूदा नियमों की स्थिति
सरकार ने इनकम टैक्स एक्ट 1961 के तहत मौजूदा नियमों में बदलाव की बात कही है। वर्तमान में, आयकर अधिनियम में 298 अनुभाग, 14 अनुसूचियाँ और 23 अध्याय शामिल हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जुलाई 2024 में बजट पेश करते समय बताया कि इनकम टैक्स कानून में बदलाव की प्रक्रिया अगले 6 महीने में पूरी कर ली जाएगी, जिसकी अंतिम तारीख जनवरी 2025 है।
पहले से हुए बदलाव
सरकार ने पहले भी कई बार इनकम टैक्स में बदलाव किए हैं। नए नियमों के अंतर्गत, पुरानी व्यवस्था में मिलने वाली 80सी जैसी कई छूटें अब भी लागू हैं, जबकि नई व्यवस्था में 72 प्रकार की छूटें समाप्त कर दी गई हैं, जिससे टैक्स दरें घटाई गई हैं। स्पष्ट है कि सरकार इनकम टैक्स भरने की प्रक्रिया को अधिक सरल बनाना चाहती है, और आगामी बजट सत्र में इस दिशा में और कदम उठाए जा सकते हैं।
इनकम टैक्स कानून में हो रहे ये बदलाव न केवल करदाताओं के लिए फायदेमंद होंगे, बल्कि इससे पूरे देश की आर्थिक स्थिति पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। सीबीडीटी का आम जनता से सुझाव लेना एक स्वागत योग्य कदम है, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत बनाता है।