टॉमी आयोग का हास्यास्पद जवाब…

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By Shivani RathorePublished On: May 5, 2021
Commission ban

 @ राजेश ज्वेल


मद्रास हाईकोर्ट की कठोर टिप्पणियों, जिसमें कहा था कि आयोग के अधिकारियों पर हत्या के मुकदमे दर्ज किए जाना चाहिए…के खिलाफ आयोग ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया… आयोग के वकील ने यह दलील पेश की कि किसी दूर इलाके में प्रधानमंत्री 2 लाख लोगों की रैली कर रहे हों तो आयोग भीड़ पर गोली नहीं चलवा सकता और इसे देखना आपदा प्रबंधन विभाग का काम है और मीडिया को भी ऐसी टिप्पणियों की रिपोर्टिंग से रोका जाए… हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया रिपोर्टिंग की रोक से इनकार करते हुए आयोग को नसीहत दी कि हाईकोर्ट जजों को हतोत्साहित नहीं किया जा सकता.. जज घर से सोचकर नहीं आते क्या बोलना है…

फिलहाल तो सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है मगर आयोग की दलील से कई सवाल खड़े होते हैं… भारत के चुनाव आयोग को संवैधानिक संस्था का दर्जा है, उसके पास काफी शक्तियां भी हैं… टीएन शेषन के लिए अलग से या नए नियम नहीं बने थे, बल्कि जो मौजूद थे उन्हीं को उन्होंने सख़्ती से लागू करवा मिसाल कायम की और देश के राजनीतिक दलों और नेताओं को बताया कि चुनाव आयोग क्या है…

जिस दिन चुनाव की घोषणा होती है उसी क्षण से आचार संहिता लागू हो जाती है और पूरी सरकारी मशीनरी आयोग के अधीन काम करती है, जिसमें आपदा प्रबंधन विभाग भी शामिल है… ऐसे में आयोग की यह दलील अत्यंत ही हास्यास्पद है कि पीएम की 2 लाख की भीड़ पर गोलियां कैसे चलवा देते..? अरे भाई, गोलियां चलवाने की किसने मांग की..? आयोग को अधिकार था कि पीएम की रैली में 2 लाख की भीड़ उसके द्वारा तय किए गए कोविड प्रोटोकॉल का उल्लंघन कर उमड़ रही है तो वह ऐसी अन्य रैलियों को निरस्त कर देता और पीएम को भी चुनाव प्रचार से रोकता.. इस तरह के प्रतिबंध कई नेताओं पर आयोग ने 24 से 48 घंटे के लगाए भी हैं..

मगर हकीकत तो यह है कि जो आयोग टॉमी की तरह व्यवहार करता साफ दिख रहा है ,वह पीएम की भीड़ भरी रैली को कैसे रोकता..? क्या रीढ़विहीन आयोग में हिम्मत थी कि वह मोदी जी को नोटिस जारी करता .. अभी देश के अलग-अलग हिस्सों में तमाम नेताओं के संक्रमित होकर मरने की खबरें आ रही है, जो बंगाल सहित अन्य चुनावों में प्रचार-प्रसार में शामिल होने से संक्रमित हुए..इसमें कार्यकर्ताओं और जनता की तो संख्या ही अनगिनत है..लिहाजा आयोग के जिम्मेदारों पर हत्या के नही बल्कि नरसंहार के मुकदमे दर्ज होना चाहिए और सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में कठोरतम कदम उठाते हुए ऐसी नजीर पेश करना चाहिए…!