अल्कोहल उत्पादों की वैश्विक मांग! शराब निर्यात बढ़ाने के लिए सरकार कर रही ये तैयारी

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भारतीय शराब उद्योग में विकास की संभावनाएं वाकई बहुत उज्जवल हैं, खासकर जब APEDA का लक्ष्य $1 बिलियन निर्यात राजस्व प्राप्त करने का है। ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत, भारतीय शराब उत्पादों के वैश्विक बाजार में प्रवेश को बढ़ावा देना एक महत्वपूर्ण कदम है, और गोडावण सिंगल माल्ट व्हिस्की का यूनाइटेड किंगडम में प्रवेश इस दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

गोडावण का यूनाइटेड किंगडम में प्रवेश भारतीय शराब के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इंटरनेशनल फूड एंड ड्रिंक्स इवेंट (IFE) में भागीदारी ने इस उत्पाद को ब्रिटेन में पहचान दिलाने में मदद की है। गोडावण की उत्पादन प्रक्रिया में उपयोग की जाने वाली ‘छह-पंक्ति’ किस्म की जौ की खरीद स्थानीय स्तर पर की जाती है। इससे अलवर क्षेत्र के किसानों की आय में वृद्धि हो रही है और इससे उद्योग की आपूर्ति श्रृंखला को भी मजबूत किया जा रहा है।

सरकार के राजस्व स्रोत
  1. मूल्य वर्धित कर (वैट):
    • यह कर वस्तुओं और सेवाओं में हर चरण पर जोड़े गए मूल्य पर लगाया जाता है। शराब उद्योग में, यह कर उत्पादन और वितरण के विभिन्न चरणों पर लागू होता है, जिससे राज्य सरकारों को राजस्व प्राप्त होता है।
  2. उत्पाद शुल्क:
    • यह कर शराब जैसे मादक पेय पदार्थों के निर्माण, बिक्री और उपभोग पर लगाया जाता है। उत्पाद शुल्क सरकार के राजस्व में एक महत्वपूर्ण योगदान करता है और मादक पेय पदार्थों की कीमतों को प्रभावित करता है।
  3. लाइसेंस शुल्क:
    • शराब के निर्माण, बिक्री और वितरण के लिए लाइसेंस की आवश्यकता होती है। इस लाइसेंस के लिए शुल्क लिया जाता है, जो सरकार के लिए एक नियामक उपकरण के रूप में कार्य करता है और साथ ही राजस्व उत्पन्न करता है।

भारत की शराब निर्यात में बढ़ती भूमिका और विश्व बाजार में भारतीय शराब के उत्पादों की बढ़ती पहचान इस क्षेत्र में नई संभावनाओं की ओर इशारा करती है। इसके साथ ही, स्थानीय किसानों और उद्योगों को आर्थिक लाभ मिल रहा है, और सरकार के राजस्व में भी वृद्धि हो रही है। इस प्रकार, भारतीय शराब उद्योग का वैश्विक विस्तार और विकास सभी संबंधित पक्षों के लिए लाभकारी साबित हो सकता है।