प्रतिष्ठित व्यास सम्मान से विभूषित साहित्यकार डॉ पगारे का निधन, शनिवार को दोपहर 12 बजे निकलेगी अंतिम यात्रा

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इंदौर। साहित्य जगत से एक बुरी खबर आई है। प्रतिष्ठित व्यास सम्मान से विभूषित देश के जाने माने ऐतिहासिक उपन्यास एवं कथाकार तथा शहर के जाने माने पत्रकार व लेखक प्रोफेसर सुशीम पगारे के पिता डॉ शरद पगारे का शुक्रवार की रात निधन हो गया। वे 93 साल के थे। साहित्यकार तथा इतिहासकार डॉ. पगारे शासकीय महाविद्यालय के प्राचार्य पद से सेवानिवृत्त होकर स्वतंत्र लेखन में संलग्न थे। शिल्पकर्ण विश्वविद्यालय, बैंकाक में विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवाएं देने वाले डॉ पगारे वे मध्य प्रदेश के पहले साहित्यकार हैं, जिन्हें देश के प्रतिष्ठित ‘व्यास सम्मान से विभूषित किया गया। डॉ पगारे के निधन से पूरे साहित्यजगत में एक बड़ी हानि हुई है। उनकी शवयात्रा शनिवार की सुबह …… उनके निवास स्थान से निकल कर जूनी इंदौर मुक्तिधाम पर जाएंगी जहां उनका अंतिम संस्कार किया जाएंगा।

कुछ समय पूर्व साहित्य क्षेत्र के अत्यन्त प्रतिष्ठापूर्ण ‘व्यास सम्मान’ से विभूषित देश के जाने-माने ऐतिहासिक उपन्यासकार और कथाकार शरद पगारे लगभग 65 वर्षों से अनवरत लेखन कर रहे थे। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ पगारे ने इतिहास के अँधेरे में खोये हुए चरित्रों को साहित्य के माध्यम से सामने लाकर ऐतिहासिक उपन्यासों के क्षेत्र में लीक से हटकर लेखन किया है और एक नयी जमीन तैयार की है।

5 जुलाई 1931 में खण्डवा मध्य प्रदेश में जन्मे शरद पगारे इतिहास में एम.ए., पीएच.डी. हैं। मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग में इतिहास के प्रोफेसर के रूप में तीन से अधिक दशकों तक अध्यापन रिसर्च के साथ ही ऐतिहासिक एवं साहित्यिक कथाओं व उपन्यासों का नियमित लेखन किया। वर्ष 1987-88 में रोटरी इंटरनेशनल इल्योंनाय अमेरिका द्वारा विश्व से दस चयनित प्रोफेसरों में डॉ. शरद पगारे को विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में शिल्पकर्ण विश्वविद्यालय बैंकॉक, थाईलैंड में अध्यापन हेतु भेजा गया था।

उनकी प्रमुख रचनाएँ :

उपन्यास : शाहजहाँ प्रेमिका गुलारा बेगम (11 संस्करणों में प्रकाशित, मराठी, गुजराती, उर्दू, मलयालम, पंजाबी में प्रकाशित) औरंगजेब महबूबा बेगम जैनाबादी (6 संस्करणों में प्रकाशित मराठी में प्रकाशन तथा दिल्ली के क्षितिज थिएटर ग्रुप द्वारा नाट्य रूपान्तर एवं 10-11 नवम्बर 2011 को श्रीराम सेंटर, मण्डी हाउस, नवी दिल्ली में मंचन), गन्धर्वसेन (मराठी में प्रकाशन), पाटलिपुत्र की सम्राज्ञी (तीन संस्करण, वाणी प्रकाशन) उजाले की तलाश, जिन्दगी के बदलते रूप (तीन संस्करण, मराठी में अनूदित)आदि।

कहानी संग्रह – नारी के रूप, एक मुट्ठी ममता, सान्ध्य तारा, जिन्दगी एक सलीब सी. दूसरा देवदास, भारत की श्रेष्ठ ऐतिहासिक प्रेमकथाएँ, चन्द्रमुखी का देवदास।

सम्मान तथा पुरस्कार – शरद पगारे अनेक सम्मानों एवं पुरस्कारों से अलंकृत हैं। जिनमें हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग का साहित्य वाचस्पति के. के. बिरला फाउंडेशन, दिल्ली का व्यास सम्मान (पाटलिपुत्र की सम्राज्ञी), बालकृष्ण शर्मा नवीन सम्मान (पाटलिपुत्र की सम्राज्ञी), विश्वनाथ सिंह पुरस्कार (गुलारा बेगम) मध्य प्रदेश हिन्दी साहित्य का वागीश्वरी एवं दिव्य पुरस्कार, साहित्य शिरोमणि सारस्वत सम्मान आदि शामिल हैं।