Indore News : जिसके पक्ष में धर्म होता है वहां सफलता और जहां धर्म नहीं वहां असफलता है। सफलता के बाद अगर आप धर्म से विमुख हुए तो फिर आपकी सफलता भी असफलता में परिवर्तित हो जाएगी। पैसा प्राप्त हो जाए और उसकी शुद्धि नहीं हो तो वही पैसा किसी काम का नहीं रह जाता।
धर्म से पुण्य की पुष्टि तो धर्म से आत्मा की शुद्धि होती है। हमें धर्म की पुष्टि करने के बजाए आत्मा की शुद्धि की ओर प्रयास करना चाहिए। हमें पुण्य का फल चाहिए या धर्म का यह हमें ही तय करना होगा। उक्त विचार सोमवार को पिपली बाजार जैन उपाश्रय में आयोजित धर्मसभा में आचार्य विजय कुलबोधि सूरीश्वर मसा ने सभी श्रावक-श्राविकाओं को प्रवचनों की अमृत वर्षा करते हुए व्यक्त किए।
उन्होंने आगे प्रवचन में कहा कि धर्म आराधना के तीन उपाय हैं – पहला करण, दूसरा उपकरण और तीसरा अंत:करण। इन तीनों ही उपायों को विस्तार से समझाते आचार्यश्री ने कहा कि करण से अभिप्राय साधन है यानी शरीर। धर्म करने के लिए शरीर का स्वस्थ होना जरूरी है। इसके अभाव में आप धर्म-कर्म नहीं कर पाएंगे। धर्म और पाप कर्म दोनों में ही शरीर महत्वपूर्ण होता है।
हमारा शरीर पापकारी और धर्मकारी भी हो सकता है। आपने कहा कि करण और उपकरण का उपयोग करते हुए भी अगर अंत:करण का उपयोग नहीं किया तो धर्म का लाभ नहीं मिल सकता। आज के समय में तिजोरी, अलमारी और फ्रिज को आपने धर्म आराधना में सबसे बड़ा अबरोधक बताया।
श्री नीलवर्णा पाश्र्वनाथ मूर्तिपूजक ट्रस्ट अध्यक्ष विजय मेहता एवं कल्पक गांधी ने बताया कि मंगलवार 28 मई को आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीरश्वरजी मसा पीपली बाजार जैन उपाश्रय में सुबह 9.15 से 10.15 तक प्रवचनों की अमृत वर्षा करेंगे। आचार्यश्री 2 माह तक 20 से अधिक संघों में विहार करेंगे जहां वह अपनी अमृतवाणी से जिनशासन का महत्व भी सभी श्रावक-श्राविकाओं को बताएंगे।
आचार्यश्री 29 मई को वर्धमान नगर, 30 मई से 1 जून गुमाश्ता नगर, 2 से 3 जून द्वारकापुरी श्रीसंघ, 4 जून पाŸवनाथ नगर, 5 से 9 जून तिलक नगर श्रीसंघ, 10 से 12 जून अनुराग नगर श्रीसंघ, 13 से 14 जून विजय नगर श्रीसंघ, 15 से 16 जून सुखलिया, 17 से 18 जून क्लर्क कालोनी, 19 से 21 जून वल्लभ नगर, 22 से 23 जून पत्थर गोदाम, 24 से 29 जून रेसकोर्स रोड़, 30 जून राऊ एवं 1 से 3 जून जानकी नगर श्रीसंघ में आचार्यश्री का मंगल प्रवेश होगा।