इंदौर नगर निगम के फर्जी घोटाले की जाँच चल रही है। निगम का मास्टर माइंड अभय राठौर को पुलिस द्वारा उत्तरप्रदेश के एटा से गिरफ्तार किया जा चूका है। अभय राठौर की गिरफ्तारी पर 25 हजार रुपये के इनाम घोषित किया गया था। वह एटा में अपने रिश्तेदारों के यहां छिपा हुआ था। निगम फ़र्ज़ी घोटाले मामले में पुलिस ने कोर्ट के सामने ऑन रिकॉर्ड जानकारी रखी है। निगम कमेटी द्वारा की गयी जांच में दस साल में 188 फाइलें सामने आयी है। जिनमे से 155 संदिग्ध है। जिसमे 81 करोड़ का भुगतान हो चूका है।
पंकज पांडे (DCP, जोन-3) ने बताया कि अब तक 58 फाइलों की जांच में रुपये की धोखाधड़ी सामने आई है। निगम अधिकारियों और ठेकेदारों ने 60 करोड़ का घोटाला किया है। इनमें से 30 करोड़ रुपये का भुगतान निगम के खाते से किया जा चुका है। अभी कई फाइलों की जांच चल रही है। राठौड़ की रिमांड के बाद और भी खुलासे होने की उम्मीद है।
राठौर बनता था फर्जी फाइले
पुलिस द्वारा गिरफ्तार ठेकेदार राहुल और उसकी पत्नी रेनू वढेरा द्वारा यह बयान दिया गया कि ठेकेदार सभी फर्जी फाइल बनाकर इंजीनियर अभय राठौर को देता था। उसके बाद अभय राठौर अपने लोगो के साथ मिलकर इस फाइल की भुगतान की सेटिंग करते थे। जांच रिपोर्ट में यह भी लिखा गया है कि राठौर ही सभी फर्जी फाइल की मेजरमेंट बुक भी खुद ही बनता था। बिल के भुगतान के लिए यह महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इसमें हर दिन के काम की जानकारी और फोटो होता है। साथ ही इसमें उन ठेकेदारों, इंजीनियरो जिन्हे काम किया है उनके हस्ताक्षर भी होते है। ताकि यह पता किया जा सके कि कार्य कहां तक हुआ है, इसीलिए इसे बनना बहुत ही कठिन कार्य है।
’60 फीसदी हिस्सा खुद ही रखता था मास्टर माइंड राठौर’
सभी ठेकेदार फर्जी फाइल बनाकर राठौर को देते थे। राठौर इन फाइलों को अपने करीबी राजकुमार साल्वी को देता था। राठौर बिल की राशि से खुद 60 फीसदी हिस्सा रखता था। और सालवी को 15 फीसदी हिस्सा देता था। फर्म की फर्जी फाइलों का काम राठौर के साथ राहुल, साजिग, जाकिर, सिद्दीकी करते थे। राहुल फर्जी बिल तैयार कर राठौर को देता था। बाद में राठौर इसकी फर्जी मेज़रमेंट बुक तैयार कर लेता था।