कर्नाटक की हाई कोर्ट ने सेल्फ डिफेंस में पेपर स्प्रे के इस्तेमाल पर बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने एक प्राइवेट कंपनी के मालिक कपल के खिलाफ कथित तौर पर पेपर स्प्रे के इस्तेमाल को लेकर क्रिमिनल केस वापस लेने से इनकार कर दिया है। जज एम नागप्रसन्ना की बेंच ने अमेरिका का हवाला देते हुए कहा कि वहां ये खतरनाक केमिकल वेपन ह। लेकिन हमारे देश की बात करें तो पेपर स्प्रे कई महिलाएं के बैग में होता है।
क्या है पूरा मामला
दरअसल कर्नाटक हाई कोर्ट प्राइवेट कंपनी के मालिक सी गणेश नारायण और उनकी पत्नी के खिलाफ दर्ज आपराधिक मुकदमे की सुनवाई कर रहे थे। इस दौरान पेपर स्प्रे को खतरनाक हथियार बता दिया. दोनों पर आरोप है कि उन्होंने अप्रैल में बेंगलुरु स्थित एक शोरूम के सिक्योरिटी गार्ड रणदीप दास से हाथापाई की. इस दौरान पत्नी ने गार्ड पर पेपर स्प्रे डाल दिया था।
पीड़ित गार्ड पहुंचा था कोर्ट
पीड़ित गार्ड की शिकायत पर मामला अदालत तक पहुंचा था। जहां जोड़े ने सेल्फ डिफेंस का तर्क दिया, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया. अदालत ने कहा कि चूंकि तात्कालिक तौर पर दंपत्ति पर जान का खतरा नहीं था, तो उन्हें खतरनाक पेपर स्प्रे के उपयोग से बचना चाहिए था. कोर्ट ने अमेरिका के हवाले से कह दिया कि स्प्रे को खतरनाक हथियार माना जाना चाहिए.
क्या है आत्मरक्षा
भारतीय संविधान के अनुसार आत्मरक्षा का मतलब है कि कोई भी इंसान अपनी रक्षा के लिए रीजनेबल ताकत का इस्तेमाल कर सकता है. आईपीसी खुद को या अपनी संपत्ति को गलत लोगों या हमलों से बचाने की छूट देती है. आईपीसी के सेक्शन 96 में इसका जिक्र है।