*निरंजन वर्मा*
यह महाकाल का ही प्रकोप था… और किसी का हो भी नहीं सकता…. पूजा के दौरान गुलाल के आग पकड़ने की घटना ने सबको अचंभित कर दिया. कई पुजारी इसमें घायल है और कई गंभीर भी .. दुःखद है…
अब जब यह घटना हो गई है तो उसके पीछे के कारण पर भी चर्चा कर लेना चाहिए ….कुछ कारण तो वह है जो सामने दिख रहे हैं और कुछ कारण वह है जो दिख नहीं रहे हैं… जिन पर बात करना लोगों को अंधविश्वास लगेगा …कुछ हसेंगे …लेकिन आप कुछ सोचिए ना जो बाबा महाकाल जो दुनियाभर के भक्तो के संकट हर लेता है उसी के दरबार में अगर संकट आ रहा है मतलब वो नाराज़ हैं।
हो क्यो भी ना ….महाकाल मंदिर का व्यवसायीकरण इस कदर हो चुका है कि आम भक्त भगवान से दूर हो गए है और पैसे वाले भगवान से सीधे मिल रहे हैं ….मिलाने वाले पुजारी हैं लेकिन शायद बाबा महाकाल को भी पुजारी की यह दुकानदारी पसंद नहीं आई ….उन्होंने इशारा किया है…. इशारा छोटा है लेकिन इस छोटे से इशारे में ही कईयो की जान पर बन आई है… … दर्शन करने आने वाले व्यक्तियों को भक्तों को कई किलोमीटर बेवजह घुमाया जाता है .. ना बुजुर्ग देखते हैं ना विकलांग देखते हैं ….. हा पंडित की जेब गर्म कर दो तो
आम आदमी के लाइन से वी आई पी लाइन में पहुँच जाओ … थोड़ा और माल देकर नन्दी गृह और खास दक्षिणा के बाद गर्भ गहुचाने की व्यवस्था भी इनके हाथो में ही होती हैं …… वैसे भी उनके लिए तो पैसा ही भगवान हो चुका हैं … महाकाल तो सिर्फ एक माध्यम है … भगवान से सीधे मिलाने के इस धंधे में प्रशासन भी बराबर का हिस्सेदार हैं … जिसने बाबा महाकाल को भगवान से ब्रांड बनाकर वसूली शुरू कर दी .. ऒर आम भक्तो को बाबा से दूर कर दिया .. ये उन भक्तो की ही हाय है जो आते तो दर्शनों के लिए है पर बाबा के सामने ही उन्हें गाली दी जाती है… अपमानित किया जाता है …ऐसे कई वीडियो भी खूब वायरल हो चुके हैं…..
वैसे इससे ज्यादा भीड़ वैष्णो देवी मंदिर में होती है… लेकिन वहां का टोकन सिस्टम ऐसा है कि लोगों को आधे घंटे से ज्यादा लाइन में नहीं लगना पड़ता.. सिस्टम तो यहां भी बन सकता है लेकिन दुकानदारी बंद होने का जो खतरा है… यह सिर्फ एक छोटा सा इशारा है… अब सुधरे तो ठीक वरना वो बाबा महाकाल है अपना हिसाब खुद कर लेगा…