पुष्पेन्द्र वैद्य:
सड़कों पर उतरने की आपकी चेतावनी के बाद मध्यप्रदेश में मचे सियासी कोहराम के बाद आपने कथित तौर पर जनता की ख़ातिर तख्तापलट कर दिया था। आपने अपनी बायो प्रोफ़ाइल में खुद को जनसेवक लिखा। सियासी समीकरण जो भी रहे हो लेकिन आपने जनता के लिए इतिहास बदलने की बात कही।
आपके नवरत्न समर्थकों ने आपके एक इशारे पर मंत्री पद और विधायकी क़ुर्बान कर दी। महाराज आज उसी प्रदेश की जनता तिल-तिल कर मर रही है। एक-एक साँस के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। तड़प-तड़प कर लोग दम तोड़ रहे हैं। अस्पताल खचाखच भरे पड़े हैं, दवाइयों का अकाल है। बेशर्म सरकारी सिस्टम खुद वेंटिलेटर पर है। श्मशानों में वेटिंग चल रही है।
वक्त तो अब है जब आपको अपनी प्रिय जनता जनार्दन के लिए सड़कों पर उतरना चाहिए। आपके नवरत्न मंत्री, विधायक भी घरों में बंद हो गए है। आपकी सरकार ने एक साल में कोरोना के नाम पर क्या कोई तैयारी नही की थी। आपकी ही टीम के स्वास्थ्य मंत्री के तो गुमशुदगी के पोस्टर चस्पा हो गए हैं।
आपके प्रधानमंत्री को दीदी फोबिया ने इस क़दर जकड़ रखा है कि उन्हे देश की इस आपदा का मानो भान ही न हो। जिले में बैठे ज़्यादातर कलेक्टर मरने वालों के आँकड़ों की जादूगरी में मशगूल हैं। सीएम की वीसी में खुद की कुर्सी बचाने की प्रजेंटेशन तैयार कर रहे है।
महाराज पहले तो अपने सिपहसलारों को बाहर निकालिए फिर यदि सच्चे जनसेवक की तरह आप भी महलों से बाहर निकलिए। आपका प्रदेश चिताओं की आग में धूं-धूं कर जल रहा है। लोग चंदा इकट्ठा कर बिस्तरों और ऑक्सीजन की व्यवस्थाएँ जुटा रहे हैं। अब वक्त आ गया है। अभी नहीं तो कभी नहीं। बंदोबस्त न सही कम से कम लोगो को ढाँढस तो बंधाइये…..