लाव-लश्कर के साथ निकली घट स्थापना की शोभायात्रा, सौधर्म इन्द्र सहित इंद्र-इंद्राणी बने यात्रा के साक्षी

Shivani Rathore
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मज्जिनेन्द्र पंचकल्याणक जिनबिम्ब प्रतिष्ठा एवं गजरथ महोत्सव प्रारंभ

मन, वचन और काया के साथ आत्मा की शुद्धि भी जरूरी- मुनि विमल सागर

आज होगा गर्भकल्याणक महोत्सव, शाम को पात्र बने कलाकार देंगे अपनी विशेष प्रस्तुति, नाटक का मंचन भी होगा

इन्दौर 19 मार्च। आत्मा का स्वभाव समझ लेना ही एक प्रकार धर्म होता है। दान और पूजा व्यवहार धर्म में प्रधान होता है। हर श्रावक श्राविका को इसका पालन कर अपने कर्मों पर विजय प्राप्त करना ही लक्ष्य होना चाहिए। पूजन में मन, वचन व काया की शुद्धि के साथ आत्मा की शुद्धि भी करना चाहिए। शुद्धि आत्मा का प्रसाद होता है। उक्त विचार छत्रपति नगर स्थित दलालबाग में आयोजित सात दिवसीय पंचकल्याणक महोत्सव के दौरान मुनिश्री विमल सागर जी महाराज ने सभी श्रावक-श्राविकाओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने आगे प्रवचन में कहा कि वेतन पाने वाले वतन पर कम ध्यान दे पाते हैं और चेतन वाले तन पर कम ध्यान दे पाते हैं। एक राजा का मरण रण भूमि में संघर्ष करते हुए होता है और एक महाराजा का मरण प्रजा की सेवा करते हुए होता है। वहीं इसके पूर्व घटस्थापना की शोभायात्रा भी गाजे-बाजे के साथ निकाली गई। जिसमें सौधर्म इंद्र-इंद्राणी सहित 600 इंद्र-इंद्राणी साक्षी बने।

श्री आदिनाथ दिगंबर जैन धार्मिक एवं पारमार्थिक ट्रस्ट एवं पंचकल्याणक महोत्सव समिति मुख्य आयोजक सचिन सुपारी ने बताया कि मंगलवार को मुनिश्री विमल सागर एवं अनन्त सागर महाराज के सान्निध्य एवं प्रतिष्ठाचार्य विनय भैय्या, अनिल भैय्या, अमित जैन (वास्तुविद) के निर्देशन में सुबह 6 बजे गुरूआज्ञा, आचार्य निमंत्रण, नित्यमह, अभिषेक, शांतिधारा व पूजन की विधियां संपन्न की गई। 6.30 बजे जाप स्थापना, आचार्यश्री पूजन एवं 7.30 बजे घटयात्रा एवं श्रीजी की भव्य शोभायात्रा गाजे-बाजे के साथ परिसर मेें ही निकाली गई। इसके पश्चात मण्डप प्रवेश, मण्डप उद्घाटन, मण्डप शुद्धि, वेदी संस्कार शुद्धिष अभिषेक, शांतिधारा श्रीजी स्थापना पूजन हुआ एवं 9 बजे सुंदरलाल, सुशील जैन, सतीश जैन (डबडेरा) परिवार ने ध्वजारोहण एवं मण्डप उद्घाटनकर्ता श्रीमती चंदाबाई, अनिल-सुनीता, राजकुमार-साधना, शुभी, शुभ जैन एस.आर. परिवार ने किया।

मुख्य आयोजक सचिन सुपारी, विपुल बांझल, कैलाश नेताजी एवं रोहिल रसिया ने बताया कि बुधवारं 20 मार्च को गर्भ कल्याणक (पूर्व रूप) का उत्सव मनाया जाएगा। जिसमें पात्र शुद्धि, सकलीकरण, नांदी विधान, इन्द्र प्रतिष्ठा, अभिषेक, शान्तिधारा, नित्यमह पूजन, आचार्यश्री की पूजन, आर्शीवचन, याग महाण्डल विधान, संगीतमय महाआरती, शास्त्र प्रवचन, सौधर्म इन्द्र की इन्द्रसभा, आसन कम्पायमान, नगरी की रचना माता-पिता की स्थापना, अष्टदेवियों द्वारा माता की पचिर्या, सोलह स्वप्न दर्शन के साथ ही गर्भ कल्याणक की आंतरिक संस्कार क्रियाएं संपन्न की जाएगी। वहीं गुरूवार 21 मार्च को गर्भ कल्याणक (उत्तर रूप), शुक्रवार 22 मार्च को जन्म कल्याणक, शनिवार 23 मार्च को तप कल्याणक, रविवार 24 मार्च को ज्ञान कल्याणक एवं 25 मार्च को मोक्ष कल्याणक के साथ ही इस सात दिवसीय महोत्सव का समापन होगा।

मुनि सुव्रतनाथ भगवान की प्रतिमा होगी विराजित

सात दिवसीय पंचकल्याणक महोत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे। पंचकल्याणक महोत्सव की सभी विधियां विनय भैय्या के निर्देशन में संपन्न की जाएगी। सात दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव में पांच फीट की श्वेत वर्ण पाषाण की मुनि सुव्रतनाथ भगवान की प्रतिमा के साथ ही अन्य 15 तीर्थंकरों की प्रतिमा भी छत्रपति नगर स्थित नूतन जिनालय में विराजित की जाएगी।