शिवानी राठौर, इंदौर – Successful Story : इन दिनों शहर में ‘करणावत पान’ वाला काफी सुर्ख़ियों में है। जिसके पीछे का कारण ‘करणावत’ पान दुकान और भोजनालय पर पड़ने वाला जीएसटी का छापा है। छापा पड़ने के बाद से लगातार ‘करणावत’ पान वाले की चर्चाएं चारो ओर हो रही है। पूरे इंदौर में लगभग 32 आउटलेट पान और 12 आउटलेट भोजनाय के साथ इसके स्वाद ने सभी को दीवाना बना रखा है। इन सभी आउटलेट से सालाना कई करोड़ों की इनकम होती है।
बिना रिकॉर्ड करते थे बिक्री
जीएसटी विभाग को जानकारी मिली थी कि ‘करणावत’ अपने पान और फूड की बिक्री बिना रिकॉर्ड के करते थे। साथ ही विभाग को छापे के दौरान इस बात की जानकारी हाथ लगी थी कि इनके द्वारा कम आय बताकर रिकॉर्डतोड़ बिक्री इंदौर के सभी आउटलेट्स से की जा रही थी।
चौथी फेल है फाउंडर गुलाब सिंह
आपको जानकारी हैरानी होगी कि ‘करणावत’ के फाउंडर गुलाब सिंह चौहान चौथी फेल है। उन्होंने राजस्थान से इंदौर आकर सबसे पहले 1 पान की दुकान खोली थी, जिसका स्वाद लोगों के मुंह पर ऐसा चढ़ा की देखते ही देखते यह 32 दुकान तक पहुंच गया। इस पान का स्वाद देश के साथ साथ विदेशों से आने वाले लोगों को भी काफी पसंद आता है।
पिता ने बढ़ाया हौसला
‘करणावत’ के फाउंडर गुलाब सिंह चौहान बताते है कि उनको आगे बढ़ाने में उनके पिता का बड़ा योगदान रहा है। जब वे चौथी क्लास में फ़ैल हुए थे तो उनके पिता ने उनका हौंसला बढ़ाया और उन्हें आगे पढाई जारी रखने के लिए प्रेरित किया। परन्तु उसके बावजूद भी गुलाब सिंह पढ़ाई में सफलता हासिल नहीं कर पाए और एक बार फिर चौथी क्लास में फेल हो गए। उसके बाद उन्होंने राजस्थान से इंदौर आने का फैसला लिया।
दोस्तों से पैसे उधार लेकर आए इंदौर
जब गुलाब सिंह चौथी क्लास में दो बार फेल हो गए थे तब उन्होंने मन में इंदौर आने का मन बना लिया था। इस दौरान वे अपने पिता से यह बात बताने में काफी डर रहे थे कि वे इंदौर जाने वाले है। डर के कारण उन्होंने ये बात पिता को नहीं बताई और अपने दोस्तों का सहारा लिया। सन 1979 में उन्होंने इंदौर आने के लिए अपने दोस्तों से करीब 7 रूपये उधार लिए और इंदौर आ गए थे।
पहले 2-3 साल पान दुकान पर किया काम
पढाई में नाकामयाबी मिलने पर उन्होंने पढ़ाई छोड़कर इंदौर में काम की तलाश शुरू करते हुए एक पान दुकान पर काम करना शुरू किया। उसके बाद लगभग इंदौर में उन्होंने 2 -3 साल एक पान दुकान पर ही काम किया। काम करते करते एक दिन उनके दिमाग में यह आईडिया आया कि ”क्यों ना मैं अपनी खुद की एक पान की दूकान शुरू कर लूं” बस फिर क्या था यह आईडिया उनका सफलता की ओर आगे बढ़ता गया और उन्होंने जीत हासिल कर ली।
1982 से की पान की दुकान की शुरुआत
1979 में इंदौर आने के बाद गुलाब सिंह चौहान ने साल 1982 से खुद की पान की दुकान की शुरुआत की। सबसे पहली पान दुकान इंदौर में साउथ तुकोगंज क्षेत्र में शुरू की। शुरुआत करते ही दुकान इस तरह चली की देखते ही देखते लोग महीनेभर में हजारों की संख्या में लोग पान खाने आने लगे।
1984 में दंगे के दौरान जला दी थी दुकान
पान दुकान अच्छी तरह से चलने के बाद साल 1984 में अचानक दंगे का सामना करना पड़ा था। इस दौरान उपद्रवियों ने ‘करणावत’ पान दुकान में आग लगा दी। देखते ही देखते पूरी दुकान आग की लपटों में समां गई और लाखों का सामान जलकर खाक हो गया।
रिश्तेदारों का मिला साथ
आग की घटना के बाद जब दोबारा पान की दुकान की शुरुआत की तब रिश्तेदारों ने साथ दिया और आगे बढ़ने की हिम्मत दी। इसी के साथ उन्होंने एक के बाद एक पान दुकान खोलना शुरू किया और बिजनेस के इस क्षेत्र में आगे बढ़ते गए। उनके रिश्तेदारों की भागीदारी ऐसी रही कि पान का कारोबार तेजी से बढ़ता चले गया। आज 70 से ज्यादा रिश्तेदार उनके साथ इस कार्य को देख रहे है। खास बात यह है कि सभी रिश्तेदार इंदौर में अपने निजी मकान के साथ रहने लगे है।
इंदौर में जिस बिल्डिंग में चौकीदारी की, उसे ही खरीद लिया
करणावत मालिक गुलाब सिंह चौहान की कहानी किसी फ़िल्मी दुनिया की कहानी से कम नहीं है। इंदौर आने के बाद उन्होंने एक बिल्डिंग में चौकीदारी भी की और बाद में उसी बिल्डिंग को खरीदकर अपने नाम कर लिया। सालों चौकीदारी करने के बाद उन्होंने बिल्डिंग को खरीदने का मन बना लिया। देखते ही देखते करणावत ग्रुप को सफलता मिलती गई और इंदौर में अपनी अलग पहचान बनाई।
2009 में की भोजनालय की शुरुआत
पान दुकान के बाद ‘करणावत’ ग्रुप ने इंदौर में भोजनालय की शुरुआत की, जिसके लगभग 12 भोजनालय अभी संचालित हैं। भोजनालय में खाने का स्वाद इतना अच्छा दिया गया कि स्टूडेंट्स की पहली पसंद बन गया। अब ऐसे में सीके टार्न ओवर की बात करे तो सूत्रों के मुताबिक लगभग 25 करोड़ रुपए से अधिक का सालाना टर्नओवर है।
5 साल पहले IT ने की थी सर्वे की कार्रवाई
करणावत ग्रुप के द्वारा बताया गया कि आज से लगभग 5 साल पहले इनकम टैक्स विभाग ने सर्वे की कार्रवाई की थी, जिसमें साउथ तुकोगंज, कनाड़िया और पीपल्याहाना के आउटलेट्स शामिल थे। उस समय करोड़ों की संपत्ति के डॉक्यूमेंट्स भी मिले थे साथ ही करीब 50 लाख की अघोषित आय सरेंडर हुई थी।
28 ठिकानों पर एक साथ पड़ा छापा
पिछले कुछ दिनों पहले जीएसटी विभाग ने ‘करणावत’ के 28 ठिकानों पर एक साथ छापा मारा है। इसमें कई तरह के चौंकाने वाले दस्तावेज भी सामने आये है, जिसकी चर्चा इंदौर में चोर ओर की जा रही है।