विपिन नीमा
इंदौर। लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा ने अपनी पहली सूची जारी कर दी है, लेकिन सूची में इंदौर को होल्ड पर रखा है। इंदौर को होल्ड पर रखना कोई नई बात नहीं है। पिछला रिकार्ड उठाकर देख लीजिए … इंदौर को लेकर भाजपा ने हमेशा चौंकाया ही है। इस चुनाव के लिए भी वहीं स्थिति बन गई है। 195 प्रत्याशियों की सूची में इंदौर को शामिल नहीं करना भाजपा की इस बात को दर्शाता है की इस बार भी वह इंदौर को चौंकाने वाला नाम आ सकता है। इंदौर के प्रत्याशी के नाम चयन भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व करेगा। यह तय माना जा रहा है की इस बार इंदौर में भाजपा और कांग्रेस का प्रत्याशी महिला हो या पुरुष चेहरा नया ही होगा। देश भर में सिंधी समाज की एक से सवा करोड़ आबादी की आबादी को देखते हुए हाईकमान रिस्क नहीं लेगा। इस मुद्दे को लेकर पार्टी शंकर को रिपीट कर सकती है। लालवानी पूरे देश में एकमात्र सिंधी सांसद हे।
संगठन इस बार चुनाव में महिला प्रत्याशी पर कोई दांव नहीं खेलेगा
भाजपा ने हमेशा इंदौर में महिला नेत्रियों को आगे रखा। चाहे लोकसभा का चुनाव हो, विधानसभा का चुनाव हो या महापौर का। इंदौर में महिला प्रत्याशी बनाए जाने संभावना थोड़ी कम ही नजर आ रही हे। लंबे समय से महिलाएं केंद्र और राज्य में इंदौर का प्रतिनिधित्व करती रही है।
संगठन के सामने ये महिलाओं के मामले में इन बिंदुओं को भी देख रही है जैसे –
▪️ सुमित्रा महाजन लगातार 30 साल तक इंदौर की सांसद रही।
▪️ उषा ठाकुर पूर्व मंत्री
▪️ डॉ उमा शशि शर्मा और मालिनी गौड़ इंदौर की महापौर रही।
▪️ इंदौर जिले के महू से कविता पाटीदार वर्तमान में राज्यसभा सदस्य है।
▪️दिव्या गुप्ता बाल आयोग की सदस्य है।
▪️ अंजू मखीजा और प्रीति तोमर वर्तमान में केंद्र सरकार के मंत्रालय में डायरेक्ट है।
केंद्रीय नेतृत्व पर सिंधी
समाज का बढ़ता दवाब,
फिर आ सकते है शंकर
2019 के चुनाव में पार्टी हाईकमान ने सिंधी समाज की तरफ से इंदौर से शंकर लालवानी को टिकट दिया था। वे पूरे देश में एकमात्र सिंधी सांसद थे। इस बार सिंधी समाज की क्या भूमिका रहेगी अभी यह तय नहीं है, लेकिन समाज ने केंद्रीय नेतृत्व पर लगातार दबाव बनाना शुरू कर दिया है। समाज का प्रतिनिधित्व इसलिए भी बनता है, क्योंकि पूरे देश में लगभग एक से सवा करोड़ सिंधी है। इस मुद्दे पर केंद्रीय नेतृत्व कोई रिस्क नहीं लेना चाहता है। अगर जातिवाद का फैक्टर चला तो इंदौर से शंकर लालवानी को फिर से टिकट मिल सकता है।
इंदौर में भाजपा के चौकाने वाले निर्णय
85 में हार के बाद भी ताई को टिकट देकर सभी को चौंका दिया था
लोकसभा , विधानसभा या नगर निगम का चुनाव हो, भाजपा ने हर चुनाव में नए चेहरों को लेकर इंदौर के प्रत्याशियों के नाम में देरी की है। 1985 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की वरिष्ठ नेता सुमित्रा महाजन को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता महेश जोशी ने पराजित किया था। इसके बाद 89 में लोकसभा चुनाव आए। इस चुनाव को लेकर भाजपा में काफी दिनों तक बैठकें और मंथन का दौर चलता रहा की इंदौर से किसको टिकट देना है। चूंकि सुमित्रा महाजन विधानसभा चुनाव हार गई थी, तब राजनैतिक विशेषज्ञ यही कह रहे थे की पार्टी अब सुमित्रा को टिकट नहीं देगी। आखिरकार पार्टी हाईकमान सुमित्रा ताई को इंदौर से लोकसभा का टिकट देकर सभी को चौंका दिया।
एनवक्त पर शंकर का चुनना पार्टी के लिए सही निर्णय साबित हुआ
2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा हाईकमान ने इंदौर के लिए ऐसा और चौंकाने वाला दांव देखा जिससे सारे राजनैतिक विशेषज्ञों के समीकरण फेल कर दिए। प्रत्याशियों की सूची जारी करते समय पार्टी ने लगातार आठ बार लोकसभा का चुनाव जीतने वाली सुमित्रा महाजन का नाम ऐनवक्त पर सूची से हटाकर शंकर लालवानी का नाम शामिल कर दिया। भाजपा का यह निर्णय केवल इंदौर ही तक चर्चा में नहीं रहा बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर छाया रहा। हालांकि लालवानी से पहले कैलाश विजयवर्गीय, कृष्ण मुरारी मोघे, सतनारायण सत्तन जैसे दिग्गज नेताओं के नाम चल रहे थे, लेकिन लालवानी ने बाजी मार ली। ताई के बदले लालवानी को टिकट देने का निर्णय भाजपा के लिए काफी सफल रहा। इस चुनाव में लालवानी ने 5.47 लाख वोटों से कांग्रेस के पंकज संघवी को हराकर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया।
जेपी नड्डा और अमित शाह ही फाइनल करेंगे इंदौर के प्रत्याशी का नाम
इंदौर की सीट के लिए प्रत्याशी का ऐलान दो तीन दिनों के भीतर हो जाएंगा। फिलहाल इंदौर समेत पांच सीटों के प्रत्याशियों के नाम को लेकर दिल्ली में मंथन चल रहा है। विशेषज्ञों का कहना है की अगर लालवानी को मैदान में उतारना ही होता तो वह पहली सूची में ही उनका नाम घोषित हो जाता, लेकिन यहां मामला कुछ अलग नजर आ रहा है। फिलहाल इंदौर से कौन चुनावी मैदान में उतरेगा एक-दो दिनों में खुलासा हो जाएगा।