स्मृति शेष – महेश काका

Shivani Rathore
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 रतनदादा की डायरी में लिखा शेर

*महेश काका पर मौजू है *

जिस्म की मौत कोई मौत होती नहीं ।
जिस्म मर जाने से इन्सान नहीं मिट जाते ।।
वे चले गए , पर हमारे दिलों- दिमाग़ पर राज करते रहेंगे।

महेश काका प्रदेश की राजनीति के वो शख्शियत थे जिन्हें यार बाज़ी के लिए जाना जाता था , दोस्तों की हद से बाहर जाकर मदद करना उनकी ख़ासियत थी। लाग लपेट से कोसों दूर रहने वाले काका बेबाक नेता थे ,इसलिए रतन दादा से उनकी पटती थी। राजनीति में राजनीति ज़रूर की , पर द्वेश की नहीं, कांग्रेसी विचार धारा होने के बावजूद विरोधी नेताओं से संबंध निभाना कोई इनसे सीखे। कई पदों पर रहे पर फक्कड़ मिज़ाज के ही रहे , युवा तुर्क के नाम से जाने जाने वाले काका अद्वितीय संगठन क्षमता के धनी थे। दिग्विजय सिंह जी के मुख्यमंत्री कार्यकाल में शेडो़ मुख्यमंत्री के रूप में जाने गए।आम जनता की नब्ज पर हाथ रखकर जनता का मिज़ाज भाप लेने वाले काका प्रशासन तंत्र पर भी नकेल कसने में माहिर थे। वे जानते थे तंत्र को कैसे गुनिये में रखना , इशारे में अपनी भाषा समझा देते थे , और किसी की हिम्मत नहीं की इशारा नहीं समझें। जो नहीं समझा , समझो गया। युवा तुर्क काका की शख़्सियत को सबसे पहले पहचाना पद्म श्री बाबुलाल जी पाटोदी ने ,उन्हें पार्षद के चुनाव में उतारा , फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा काका ने। वे जब भी मिलते कहते क्यों भतीजे कैसा है , दादा कैसे है , पंचमढ़ी से लाया शहद दादा के लिए भेजना कभी नहीं भूलते।

जब काका आवास व पर्यावरण मंत्री थे , कुश्ती दंगल में दादा से पूछ बैठे , दादा कहीं मकान बनाया , दादा भी फक्कड़, बोले सर सेठ हुकमचंद जी बना गए , उन्होने अपनी डायरी से एक कोना फाड़ा * लिखा कंसल दादा को एक प्लाट देना है *, कंसल तब आईडीए के प्रमुख थे, तुरंत कंसल जी ने प्लाट अलाट कर दिया , एसी कार्यप्रणाली थी काका की, दमदार और धमकदार। काका हमारे बीच नहीं है पर उनकी शख़्सियत हमारे बीच मौजूद रहेंगी, जन्म और मृत्यु के मध्य जो कुछ वे बो गए हैं वह उन्हें अमर बनाए रखेंगीं। दिशा देती रहेंगी ,वे याद आते रहेंगे, मौजूद रहेंगे हमारे बीच हर पल। परम पिता परमेश्वर अपने श्रीचरणों में स्थान दें व पुत्र पिन्टू जोशी व जोशी परिवार को दुख सहन करने की शक्ति दे।

विनम्र श्रद्धांजलि
नकुल पाटोदी
दादा रतन पाटोदी परिवार